हे मनभावन, हे अतिपावन!
प्रेम की तुम परिभाषा हो
मेरे जीवन का ज्योति-पुंज,
मेरी समग्र अभिलाषा हो.
है तुमसे ही प्रारंभ और
तुममे ही अंत समाया है
इस अन्तर का स्पंदन तुम,
श्वासें भी तेरी माया हैं
हो निर्निमेष, अनिमेष यदा
इक सृष्टि सृजित हो जाती है
कहते हैं तुमको परमात्मा
ये आत्मा ही बतलाती है
तुम प्रेम-गंध का एक बंध
मुझको क्यों बाँध नही लेते?
जीवन-जलनिधि में घिरी हुई,
मुझको क्यों थाम नही लेते?
तुम दिव्य प्रेममय एक पुरूष,
मैं विरह व्यथित एक नारी हूँ
हे अनंत प्रियवर सुंदर,
तुम पर मैं तन मन वारी हूँ
है अर्धोन्मीलित दृग बाट जोहते
कब ह्रदय द्वार खटकाओगे?
कर ब्रह्मनाद गुंजित सस्वर
"मै " को मुझमे ही समाओगे?
12 comments:
आह! अध्यात्म से ओतप्रोत उत्तम रचना.
बहुत दिनों के बाद इतनी प्रभावशाली पंक्तियाँ पढीं. मन प्रसन्न हो उठा.
"तुम प्रेम-गंध का एक बंध
मुझको क्यों बाँध नही लेते?
जीवन-जलनिधि में घिरी हुई,
मुझको क्यों थाम नही लेते?"
अध्यात्म और प्रेम से समन्वित श्रेष्ठ पंक्तियां .आभारी हूं.
बहुत ही सुन्दर भावप्रद रचना । ईश्वर प्रेम की सहज अभिव्यक्ति पर यह शव्द शिल्प आपकी गहरी मानसिक क्षमता को प्रदर्शित करती है, लिखती रहें ।
ईश्वर,सृष्टि का रहस्य,आत्मा की तन्मयता......सार बनकर,पावन प्रेम बनकर,अर्पण बनकर हर एक पंक्ति में है........उत्कृष्ट रचना
बहुत गहरी भावपूर्ण रचना लिखी है आपने
अत्यधिक सुंदर प्रार्थना
अदभूत!!! ऐसा समर्पण भाव!!!
जीवन की िविवध िस्थितयों को सुंदरता से शब्दबद्ध किया है । अच्छा िलखा है आपने । भाव और िवचारों का अच्छा समन्वय है । -
http://www.ashokvichar.blogspot.com
khubsurat
ज्योत्स्ना जी
आपने परमसत्ता के प्रति जो प्रेम और
आकांक्षा व्यक्त की है,
बड़ी अनूठी और यथार्थपरक है.
मुझे आभास हो रहा है कि ये सब
आपको विरासत में मिले हैं,
और ये पारिवारिक
संस्कारों का ही प्रतिफल है,
जो आप के मानसपटल के
भावों को शब्दों के रूप में
आप हम तक पहुँचाने में सक्षम हैं.
निम्न पंक्तियाँ आध्यात्म के
धरातल को स्पर्श करती प्रतीत
हो रही हैं :-
है तुमसे ही प्रारंभ और
तुममे ही अंत समाया है
और
है अर्धोन्मीलित दृग बाट जोहते
कब ह्रदय द्वार खटकाओगे?
कर ब्रह्मनाद गुंजित सस्वर
"मै " को मुझमे ही समाओगे?
आपका
- विजय
adhyatmik prem..aur aisa samarpan... itni khoobsoorti se shabd diyein hain is rachnaa ko aapne ,ki padhkar hriday aalokit ho uthtaa hai prem k prakash se...
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