आज फिर याद तुम मुझको आने लगे
सिलसिले चाहतों के गाने लगे ........
मोहब्बतों के चिराग जलाये बहुत
आँधियाँ बन अपने बुझाने लगे...
तेरी राहों में दिल को बिछाए रहे
राह-ए-दिल पर तुम लड़खडाने लगे..
मैं तो रूठी रही थी यही सोचकर
कोई आये, आकर मनाने लगे....
चाँद पर था मिलने का वादा सनम
क्यों अमावस में मुंह अब छिपाने लगे..
सहर तक सभी राज़ जल जायेंगे
हम चिरागों को सबकुछ बताने लगे..
तुम कहते हो शबनम गिरी रात भर
अश्क-ए-चाँदनी यूँ झिलमिलाने लगे..
16 comments:
बहुत खूब, लाजवाब रचना। बहुत-बहुत बधाई
सहर तक सभी राज़ जल जायेंगे
हम चिरागों को सबकुछ बताने लगे..
bahut khoob
sahar tak koi raaz nahi rahega, raaz se parda jo hataya tumne...chiragon ko hamdard banaya tumne
bahut h ilajawaab rachna..... dil ko chhoo gayi.........
"सहर तक सभी राज़ जल जायेंगे
हम चिरागों को सबकुछ बताने लगे.."
waah di..... bahut hi khoobsoorat gazal hui hai.... aur aapko gazal likhte hue dekhnaa sach mein bahut hi accha lagaa.... u told me kuch tiem pehle ki aap seekh rahi hain gazal likhnaa.... aur aapne sach mein bahut acchi likhi hai....
par aapki nazmon ki yaad aa rahi hai mujhe... kaafi samay se nahin padhi aapki koi nazm.... samay ki kami ke kaaran aapko bol nahin paayi par sach mein i have been missing them... hope jald hi kuch milegaa mujhe padhne ko....
love u.... dher saaraa....
मैं तो रूठी रही थी यही सोचकर
कोई आये, आकर मनाने लगे....
कितना खूबसूरत है यह एहसास. सुन्दर भावो को शब्दो मे पिरोया है
सहर तक सभी राज़ जल जायेंगे
हम चिरागों को सबकुछ बताने लगे..
lazabaab laines bahut bahut badhaaii
मैं तो रूठी रही थी यही सोचकर
कोई आये, आकर मनाने लगे....
चाँद पर था मिलने का वादा सनम
क्यों अमावस में मुंह अब छिपाने लगे..
wah jyotsnaji
kamal likha hai aapne ..gazal ki bhasha bhi saral hai aur eski lay bahut appeal ker rehi hai ....badhai
mohabat ka jo chiraag jalaye tumne, bujhne na dena chaahe aandhi aaye ya aaye amavas..bas ishq-e-chandni jhilmilati rahe...
behtarin rachna Dost ji...
"सहर तक सभी राज़ जल जायेंगे
हम चिरागों को सबकुछ बताने लगे.."
bahut hi sunder dil ko andar tak chu gayi ....bahut sunder likhti hai aap ...god bless you
best regards
aleem azmi
बहुत सुन्दर पुरानी शायरी की याद दिला गयी
बेहद खूबसूरत गज़ल ! आभार ।
nice
बहुत ही उम्दा रचना है।बहुत सुन्दर लिखी है।
bahut hi sundar likha hai aapne..
jordaar...
badhai bahut bahut
achhi kavita
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