Sunday, November 8, 2009

सिलसिले चाहतों के गाने लगे

आज फिर याद तुम मुझको आने लगे
सिलसिले चाहतों के गाने लगे ........

मोहब्बतों के चिराग जलाये बहुत
आँधियाँ बन अपने बुझाने लगे...

तेरी राहों में दिल को बिछाए रहे
राह-ए-दिल पर तुम लड़खडाने लगे..

मैं तो रूठी रही थी यही सोचकर
कोई आये, आकर मनाने लगे....

चाँद पर था मिलने का वादा सनम
क्यों अमावस में मुंह अब छिपाने लगे..

सहर तक सभी राज़ जल जायेंगे
हम चिरागों को सबकुछ बताने लगे..

तुम कहते हो शबनम गिरी रात भर
अश्क-ए-चाँदनी यूँ झिलमिलाने लगे..

16 comments:

Mithilesh dubey said...

बहुत खूब, लाजवाब रचना। बहुत-बहुत बधाई

Anonymous said...

सहर तक सभी राज़ जल जायेंगे
हम चिरागों को सबकुछ बताने लगे..
bahut khoob

रश्मि प्रभा... said...

sahar tak koi raaz nahi rahega, raaz se parda jo hataya tumne...chiragon ko hamdard banaya tumne

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

bahut h ilajawaab rachna..... dil ko chhoo gayi.........

वर्तिका said...

"सहर तक सभी राज़ जल जायेंगे
हम चिरागों को सबकुछ बताने लगे.."

waah di..... bahut hi khoobsoorat gazal hui hai.... aur aapko gazal likhte hue dekhnaa sach mein bahut hi accha lagaa.... u told me kuch tiem pehle ki aap seekh rahi hain gazal likhnaa.... aur aapne sach mein bahut acchi likhi hai....

par aapki nazmon ki yaad aa rahi hai mujhe... kaafi samay se nahin padhi aapki koi nazm.... samay ki kami ke kaaran aapko bol nahin paayi par sach mein i have been missing them... hope jald hi kuch milegaa mujhe padhne ko....

love u.... dher saaraa....

M VERMA said...

मैं तो रूठी रही थी यही सोचकर
कोई आये, आकर मनाने लगे....
कितना खूबसूरत है यह एहसास. सुन्दर भावो को शब्दो मे पिरोया है

प्रदीप मानोरिया said...

सहर तक सभी राज़ जल जायेंगे
हम चिरागों को सबकुछ बताने लगे..
lazabaab laines bahut bahut badhaaii

Unknown said...

मैं तो रूठी रही थी यही सोचकर
कोई आये, आकर मनाने लगे....

चाँद पर था मिलने का वादा सनम
क्यों अमावस में मुंह अब छिपाने लगे..
wah jyotsnaji
kamal likha hai aapne ..gazal ki bhasha bhi saral hai aur eski lay bahut appeal ker rehi hai ....badhai

ρяєєтii said...

mohabat ka jo chiraag jalaye tumne, bujhne na dena chaahe aandhi aaye ya aaye amavas..bas ishq-e-chandni jhilmilati rahe...

behtarin rachna Dost ji...

अलीम आज़मी said...

"सहर तक सभी राज़ जल जायेंगे
हम चिरागों को सबकुछ बताने लगे.."
bahut hi sunder dil ko andar tak chu gayi ....bahut sunder likhti hai aap ...god bless you
best regards
aleem azmi

KK Mishra of Manhan said...

बहुत सुन्दर पुरानी शायरी की याद दिला गयी

Himanshu Pandey said...

बेहद खूबसूरत गज़ल ! आभार ।

Randhir Singh Suman said...

nice

Ashish (Ashu) said...

बहुत ही उम्दा रचना है।बहुत सुन्दर लिखी है।

Prakash Jain said...

bahut hi sundar likha hai aapne..
jordaar...
badhai bahut bahut

Unknown said...

achhi kavita

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