उसके आने की खबर-
'बसंत' को ले आती है
हजारों ख्वाब रंगीन हो जाते हैं
चेहरा खिल जाता है
भावनाएं महक उठती हैं
भँवरे तो नहीं,
पर दिल गुनगुनाता है......
उसका आना -
'सर्दियों' की सरसराहट सा होता है
जो मेरे पैरों को
ठंडा कर देता है
और दिल की धडकनों को
बढ़ा देता है
मैं उसकी बाहों में
सिमट जाती हूँ
गर्म साँसे जब भी आपस में टकराती हैं
जाड़े की नरम धूप -सा एहसास दे जाती हैं...
अब उसे जाना है-
ये बात 'पतझड़'-सा
सन्नाटा ले आती है
उसका कुछ सामान
जो मेरे पास है,
जिसे मैं उसे सौंपती हूँ
और इस क्रम में होती
थोड़ी सी खटपट
सूखे पत्तों के खड़कने जैसा
और फिर एक सन्नाटा....
उसके जाते ही-
जाने कैसे मौसम बदल जाता है
दिल के अंदर कुछ उमड़ता है
आँखें बरस जाती हैं
इस बेमौसम 'बारिश' को
रोकने की कोशिश
ऐसी हंसी में बदल जाती है
जैसे बारिश के बीच
होती बिजली की गड़गड़ाहट ....
फिर उसके आने के इंतज़ार में--
वक़्त सरकता है
'गर्मियों' के लंबे दिनों की तरह
धीरे-धीरे
इंतज़ार की घड़ियाँ
चिपचिपी, उमस भरी,
गर्मियों की बेसब्र दोपहर-सी
कटती ही नहीं.....
उसके आने, जाने और
फिर आने के बीच
सारे मौसम अपने रंग
दिखाते हैं,
ना जाने वो कौन सा मौसम होगा?
जब वो आएगा
फिर कभी न जाने के लिए!
26 comments:
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति , इंतजार मिलन जुदाई को मौसम के माध्यम से अच्छी प्रस्तुति
waah Dost ji...
bahut hi artistic way main aapne kisi apne ke aane aur jaane ko abhivyakt kiya hai...
उसके आने की खबर-
'बसंत' को ले आती है
हजारों ख्वाब रंगीन हो जाते हैं
चेहरा खिल जाता है
भावनाएं महक उठती हैं
भँवरे तो नहीं,
पर दिल गुनगुनाता है......
yahi hota hai...!
ना जाने वो कौन सा मौसम होगा?
जब वो आएगा
फिर कभी न जाने के लिए! बहुत खूब ..सुन्दर अभिव्यक्ति
उसके आने, जाने और
फिर आने के बीच
सारे मौसम अपने रंग
दिखाते हैं,
ना जाने वो कौन सा मौसम होगा?
जब वो आएगा
फिर कभी न जाने के लिए!
uff ! bahut hi sundar aur dil ko choo lene wali rachna.........har shabd apne ahsason mein bhigota ja raha tha.
बहुत सुन्दर बिम्बो के साथ भावाभिव्यक्ति.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति के साथ....सुंदर रचना....
AAPKI YAH KOMAL SUNDAR BHAVUK MANMOHAK ABHIVYAKTI MAN KO CHHOO GAYI....
BAHUT HI SUNDAR RACHNA...WAAH !!!
वाह! नाजुक पलों को अभिव्यक्त करने का निराला अंदाज है। बधाई
yahi to zindagi hai......aane-jane ka kram hi to ye ehsaas deta hai
उत्कृष्ट रचना..बेहतरीन!!
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
अद्भुत....सर्द मौसम में किसी चाय की माफिक...!!!
yahi to pyar ha....iska intezar bhi ek maza deta ha....mausam badalte ha par vo ata jata rehta ha...ye kya kam ha...kabi aisa n ho jaye aur fir wapas n aaye?
acchi kavita..
shukriya
बहुत ही अच्छी रचना है , अलग तरह के एहसासों से भरी . मौसम का तो बस सहारा लिया है . बात तो कुछ और ही है जो हर लाइन में बसी है .
Choudhary Amit Kr. ['A,]
waah di... bahut bahut bahut hi pyaari rachnaa... kitni khoobsoorti se sabhi mausam jod diye aapne kisi khaas ke aane aur phir chale jaane se... aur phir ant... itnaa marm sirf ek prashn mein... ! maano ek prashnvaachak nazar aakar theher gayi ho chehre pe.... aur usmein bhar aaye garm aansuon ki tapan bardaasht naa ho rahi ho...
humesha ki tarah ek gehraa asar chodne waali rachnaa....
बेहतरीन कविता | उपस्थिति से बदलने वाले दृश्य और अनुभव सहज ही अभिव्यक्त हो उठे हैं | आभार |
नववर्ष पर आपको हार्दिक शुभकामनाये और ढेरो बधाई
Aapka blog per aakar achha laga
सुंदर अभिव्यक्ति
....दरअसल कविता के अंत में जो प्रश्न उठाए गए हैं उसका उत्तर तो कविता के शीर्षक में ही छुपा है।
बहुत ही सुन्दर रचना
मन की कोमल भावनाओं को
बहुत प्यारे-से शब्दों में पिरोया गया है
काव्य में गेयता प्रभावित करती है
ये बात 'पतझड़'-सा
सन्नाटा ले आती है
उसका कुछ सामान
जो मेरे पास है,
जिसे मैं उसे सौंपती हूँ
और इस क्रम में होती
थोड़ी सी खटपट
सूखे पत्तों के खड़कने जैसा
और फिर एक सन्नाटा....
es kram mein hoti dhodi khatpat sukhe patton ke khadkne jaisi ..aur fir sannata ....jyotsna ji bahut hi umda kavyatmak abhivyakti hai ..milan aur beechoh ke prasang ko mausam se jodker jo bhi aapne apne sabdo se kavya sansaar chitrit kaiya hai wpo bejod hai ..aapka kavya es kavita mein shikher per hai ..bahut bahut badhai
kitne badhiyaa mausam hain.....hamesha ki tarah aapki rachna ka aanand alag hai
क्या अभिव्यक्ति है, लाजबाब |
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.......
पता नहीं कैसे आपका ब्लॉग छूट गया था... माफ़ी चाहता हूँ.... बुकमार्क में ऐड कर लिया है...
bahoot achha
वाह! नाजुक पलों को अभिव्यक्त करने का निराला अंदाज है। बधाई
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