विषमताओं की विवशता,
विभेद से उपजी वैमनस्यता,
कारक हैं
विसंगतियों से विद्रोह का..
विद्रोही आँच से बढता
सामाजिक तापमान,
अंतस को भर देता है,
उमस और घुटन से...
कब, क्या, क्यों और कैसे
जैसे कई प्रश्नों का समाधान,
कागज़-दर-कागज़ होते हुए,
बन्द हो जाता है,
निरुत्तरित फाइलों में...
यदि कभी-कभार
सरकारी योजनाओं के छींटे,
तपते अंतस पर पड़ भी जाएँ
तो, भाप बन कर उड़ जाते हैं,
ऊँची-ऊँची कुर्सियों के हत्थे तक..
ऐसे में,
बढ़ी हुई उमस,
और अधकचरी, अपाच्य योजनाओं
के कारण,
उबकाइयां आती हैं...
समय रहते उपचार न हुआ ,
तो, उल्टियां भी आ सकती हैं,
फदकते हुए आक्रोश की...
13 comments:
Tatsam shabdo ka sundar aur sateek prayog.. ye ghutan ek din nikalegi ar tab hum shayad sach me azaad ho jayein.. :)
आपने तो पूरे अंधकार का चित्र खींच दिया। इस दिवाली पर एक दिया और जलाना पड़ेगा प्रकाश के लिए। दिवाली की शुभकामनाएं1
सुंदर कृति के लिए बधाई !दीपमाला पर्व की बहुत बहुत शुभकामनाये ........
बेहतरीन रचना....क्या खूब शब्दों को पिरोया है आपने...
आपको और आपके परिवार को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं...
6.5/10
उत्कृष्ट रचना
आपकी सधी हुयी कविता ने
'पीपली लाईव' दिखा दिया.
कविता में गजब के बिंब बन पड़े हैं।
सुंदर कविता के लिए आभार
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत सुन्दर!
दीपावली की हार्दिक शुभकामना!
ab to akrosh ki ultiyon se hi kuchh baat ban sakti hai, uske baad hi sab kuchh sahi ho sakta hai...!!!
ek utkrisht rachna!!
deewali ki subhkamnayen!!
बदलते परिवेश मैं,
निरंतर ख़त्म होते नैतिक मूल्यों के बीच,
कोई तो है जो हमें जीवित रखे है ,
जूझने के लिए प्रेरित किये है,
उसी प्रकाश पुंज की जीवन ज्योति,
हमारे ह्रदय मे सदैव दैदीप्यमान होती रहे,
यही शुभकामना!!
दीप उत्सव की बधाई...........
ज्योत्सना जी, कमाल का लिखतीं हैं, यथार्थ की ऐसी रुप-रेखा बहुत दिनों के बाद देखने को मिली है।
असित नाथ तिवारी
www.chauthinazar.blogspot.com
bahut hi achi hai apki yah kavita...
meri bhi dekhe www.pkrocksall.blogspot.com
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति है॥
एक नजर इधर भी :-
एक अनाथ बच्चे और उसे मिली एक नयी माँ की कहानी जो पूरी होने के लिए आपके कमेन्ट कि प्रतीक्षा में है कृपया पोस्ट पर आकर उस कहानी को पूरा करने में मदद करने हेतु सभी मम्मियो और पापाओ से विनती है ॥
http://svatantravichar.blogspot.com/2010/11/blog-post_18.html
बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति.........
http://saaransh-ek-ant.blogspot.com
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