
मैं दिए गए नियत समय से पूर्व ही पहुँच कर पतिदेव के साथ होटल के प्रतीक्षा-कक्ष में, उनकी प्रतीक्षा करने लगी. होटल के रिशेप्सनिस्ट ने बताया- विमान सेवा में समय व्यवधान के कारण वह विलम्ब से पहुँच रहे हैं.
लगभग आधे घंटे बाद उन्होंने इन्जीनियरिंग कर रहे छात्रों के साथ प्रवेश किया- "पाण्डेय जी नमस्कार!" और हाथ आगे की ओर बढ़ा दिया. मैंने देखा वे पतिदेव से मुखातिब थे. यह उनकी तीव्र स्मरण शक्ति ही थी, जिसके कारण वे छः माह पूर्व हुए एक औपचारिक परिचय को याद रख पाए..
मिलने के पश्चात होने वाली औपचारिकताओं को निभाते हुए हम उनके कक्ष तक आ पहुंचे. साथ आये छात्रों को उन्होंने प्रतीक्षा-कक्ष में प्रतीक्षा करने को कहा और हमारे लिए चाय का ऑर्डर देकर, वाशरूम में चले गए.
कुछ देर बाद आये, तो मैंने कहा- "छात्रों के बीच तो आप बहुत लोकप्रिय हैं, बड़ी प्रशंसा होती है आपकी."
"हाँ! यह सच है कि प्रशंसा होती है, परन्तु आलोचना भी कम नहीं होती"
"तो क्या आप आलोचनाओं से डरते हैं?"
"नहीं! मैं आलोचनाओं से नहीं डरता, वरन उन्हें सकारात्मक दृष्टि से लेता हूँ. जो लोग मेरी आलोचना करते हैं, वे सभी किसी न किसी रूप में हिन्दीभाषा से जुड़े है, इसलिए मैं उन्हें अपना मानता हूँ. वे मुझसे प्रेम करते हैं. मेरी प्रसिद्धि चाहते हैं, इसीलिये मेरे विषय में सोचते हैं, कहते हैं, और लिखते हैं. और हाँ! आलोचना के माध्यम से ही सही मुझे चर्चाओं में भी रखते हैं." एक सहज हास उनके होंठों पर आकर ठहर जाता है.
"छात्रों के बीच आने का कोई खास प्रयोजन है क्या ?"
" हाँ! भारतीय जनगणना के आकडों के अनुसार भारत में साठ करोड़ युवा है, जो हिन्दी से इतर भाषाओं की ओर मुड गया था. उनमे से यदि तीस करोड़ युवाओं को भी मातृभाषा की तरफ लौटाकर ला पाया, तो क्या यह खास प्रयोजन नहीं?
कालेजों में रॉकबैंड की जगह कविता-पाठ हो रहा है, क्या यह खास प्रयोजन नहीं ?
यदि भारत का युवा हिन्दी से जुड़ रहा है तो निश्चित ही भारत हिन्दी से जुड़ रहा है. युवाओं में वह शक्ति है, जो देश की गति को बदलने का सामर्थ्य रखती है. देश का युवा ही हिन्दी को मातृभाषा का गौरव प्रदान करा सकता है, आवश्यकता है उसे जाग्रत करने की. क्या यह खास प्रयोजन नहीं?
मेरे गीत यदि हिन्दी से जुड़े रहने का माध्यम बनते हैं तो ये मेरा सौभाग्य है."

(यह पोस्ट डॉ० कुमार विश्वास से हुई संक्षिप्त वार्ता पर आधारित है. बातचीत की उनकी चिर-परिचित शैली,जिसमें उनकी टिप्पणियाँ भी सम्मिलित हैं, जिन्हें आपके समक्ष नहीं रख पाई हूँ.)
21 comments:
Ye bhee bahut badhiya sakshatkaar raha!Aage bhee intezaar rahega!
bahut hee snehil rahee ye bhent. dr kumar kee tarah aalochna ko jhelna sabke bas kaa nahee iseeliye sab dr kumar nahee ban paate.
हमारी भी मुलाकात चंद मिनटों की ही थी....लेकिन वो छोटी सी मुलाकात एक बड़ा परिवर्तन लाई.. इसलिए मेरे मन में तो उनके लिए बहुत प्यार और है और बहुत सम्मान... आप भी मेरे जैसी ही निकली पढ़ कर अच्छा लगा :-)
ठीक बातचीत !
कुमार आलोचक/आलोचना पसंद हैं - यह जानना प्रीतिकर रहा। कुमार हों , मैं होऊँ या कोई भी - यह किसी के लिये भी युक्त-पथ है।
पर मैं इसे पिछले छमाही में उनकी समझ-वृद्धि ही कहूँगा, क्योंकि इसके पूर्व उन्हें ताली और तारीफ़ के अतिरिक्त आलोचनापरक कुछ भी और सुनने/समझने का अभ्यास नहीं था। यह मेरा अनभै-साँचा है।
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वैविध्य आवश्यक है, इससे गुणवत्ता बढ़ती है। इसलिये उनको चाहिये कि युवा-रुचि ( उनके भाव में ) को वर्षों से एक ही कविता ( दीवाना-पागल वाली ) की चेरी न बनाये रखें। कविता/कवि के वैविध्य की योजना करें, असली चुनौती यही है।
उनपर मुझे जो कुछ कहना था, एक पोस्ट लिख चुका हूँ, कब का ही मामला रफा-दफा कर चुका हूँ पर यहाँ आपकी प्रविष्टि पर चुप रहना भी समीचीन न था। कुमार और आपको शुभकामनाएँ ! आभार !
हिन्दी-सेवा के निमित्त किया गया कोई भी
प्रयास सराहनीय और स्वागत योग्य है !
साक्षात्कार संक्षिप्त किन्तु आशाजनक
रहा ! बधाई !
अच्छा लगा डॉ कुमार से आपकी मुलाकात के बारे में जानकर
didi aap vakayi ..kalam ki dhni he .................aapko mera prnaaam
achchha laga padhkar...:)
sach me aap kalam ki dhani ho, tabhi to padhne me rochak lagi..
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ज्योत्सना जी ,
आभार इस मुलाक़ात को हमसे सांझा करने के लिए ।
हिंदी भाषा की सेवा के लिए किया गया कोई भी कार्य सराहनीय एवं अनुकरणीय है । आपकी संक्षिप्त वार्ता में कुमार जी ने बेहतरीन बातें कहीं हैं । आलोचना करने वाले लोग , व्यक्ति को और भी ज्यादा लोकप्रिय बनाते हैं , और बुद्धिमान व्यक्ति उसे बिना विचलित हुए ,समभाव से ग्रहण करते हैं ।
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ज्योत्स्ना जी पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ . अच्छा लगा हर रचना में कुछ खास पढने को मिला........कुमार सर हैं ही गहरी मानसिकता रखनेवाले और उनके कार्य युवा पीढ़ी को अग्रसर करनेवाली है ...........आभार
अच्छा लगा डॉ कुमार से आपकी मुलाकात .......
आदरणीय पूर्णिमा जी, सादर प्रणाम
आपके बारे में हमें "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" पर शिखा कौशिक व शालिनी कौशिक जी द्वारा लिखे गए पोस्ट के माध्यम से जानकारी मिली, जिसका लिंक है...... http://www.upkhabar.in/2011/03/jay-ho-part-3.html
इस ब्लॉग की परिकल्पना हमने एक भारतीय ब्लॉग परिवार के रूप में की है. हम चाहते है की इस परिवार से प्रत्येक वह भारतीय जुड़े जिसे अपने देश के प्रति प्रेम, समाज को एक नजरिये से देखने की चाहत, हिन्दू-मुस्लिम न होकर पहले वह भारतीय हो, जिसे खुद को हिन्दुस्तानी कहने पर गर्व हो, जो इंसानियत धर्म को मानता हो. और जो अन्याय, जुल्म की खिलाफत करना जानता हो, जो विवादित बातों से परे हो, जो दूसरी की भावनाओ का सम्मान करना जानता हो.
और इस परिवार में दोस्त, भाई,बहन, माँ, बेटी जैसे मर्यादित रिश्तो का मान रख सके.
धार्मिक विवादों से परे एक ऐसा परिवार जिसमे आत्मिक लगाव हो..........
मैं इस बृहद परिवार का एक छोटा सा सदस्य आपको निमंत्रण देने आया हूँ. यदि इस परिवार को अपना सहयोग देना चाहती हैं तो follower व लेखक बन कर हमारा मान बढ़ाएं...साथ ही मार्गदर्शन करें.
आपकी प्रतीक्षा में...........
हरीश सिंह
संस्थापक/संयोजक "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" www.upkhabar.in/
ज्योत्सना जी,माफ़ कीजियेगा, भूल से नाम परिवर्तित हो गया है. यह आमंत्रण आपके लिए है.
युवा पीढ़ी को मातृभाषा से जोड़ने का प्रयास करने के लिए कुमार विश्वास निश्चित ही बधाई के पात्र है ...
मुलाकात को पढना अच्छा लगा !
बड़ा नीक लाग आपते मिलिकै.अब आवाजाही लागि रही!
ज्योत्स्ना जी इस यशस्वी कलाकार से मिलवाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ! युवावो में कुमार विश्वास को बड़े चाव से सुना जाता है ! मुझे उम्मीद है कि राक बैंडकि तरह काव्य पाठ की परम्परा बनी रहेगी !
you are really lucky to meet Kumar Viswas ji,
Vivek Jain vivj2000.blogspot.com
Bahut Bhahut Acchha Laga Aapka Blog Dekhkar aur Padkar....
hello ma'm . . bada prabhavit hua aapki rachanyo ko padh kar. .
aap mere blog kushkikritiyan.blogspot.com per aane ka kasht uthayen. . aap k feedbacks meri kala ki dhaar badhane me sahyog denge. . :)
अभी हाल ही में उन्हें दुबारा NITK में सुनने का मौक़ा मिला था, उनकी शैली का तो जवाब ही नही!
विश्वास जी ने युवा वर्ग को हिंदी के प्रति अग्रसर करने का जो प्रयत्न किया है वो प्रशंसनीय है मैंने अपने सामने इनके जादू को युवा वर्ग पर चढते देखा है जब ये मेरे विद्यालय के वार्षिकोत्सव में कवि सम्मेलन में पधारे थे
आपका कुमार साहब से साक्षात्कार का अंश प्रस्तुत करने के लिए बहुत धन्यवाद
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