नहीं चाहिए मुझे
तैंतीस प्रतिशत आरक्षण
देना चाहते हों
यदि बराबरी का अधिकार
तो, मत मारना मुझे गर्भ में
जन्म लेने देना
सहजता से संतान के रूप में--
मत होने देना
मेरे साथ कोई भी पक्ष-पात
शिक्षा , खान पान या खेल कूद में--
मत समझना विवाह को,
माध्यम वासनापूर्ति का
धैर्य से करना प्रतीक्षा
प्रेम से आप्लावित
एक सहमति की,
जन्म देने देना
मुझे मेरी स्वप्निल संतानों को--
मुझे तुम्हारे धिक्कार की नहीं
वरन, जरूरत है उन हौसलों की
जो देते आये हो
तुम अपनी पुल्लिंग संतानों को,
नाम रौशन करने की थाती
उनके ही पास नहीं ,
मुझ पर भी भरोसा करना--
करने देना
मुझे भी वे
छोटी- छोटी गलतियाँ
जो रही हैं, तुम्हारे लिए
सदा ही क्षम्य
माफ कर देना मुझे
उन सभी बातों के लिए
जिनके लिए
तुम कह देते हों
मुझे चरित्र-हीन्
और स्वयं को विचलित-- .
करती रही हूँ
तुम्हारी असहमतियों का भी
अकाट्य समर्थन,
ओढ़ लेती हूँ
अपने सिर,
तुम्हारी गलतियाँ
समेट लेती हूँ
अपने आंचल में
तुम्हारी बेचैनियाँ
भर देती हूँ
तुमहारे भीतर प्रेम--
मेरी ममता
जब भी
तुम्हारा माथा सहलाती है
खींच लाती है
तुम्हारी पेशानी की सारी लकीरें
अपने हाथों में--.
हर बार , हर रूप में
देती रही हूँ तुम्हे संबल
करती रही हूँ तुमसे प्रेम
करती रही हूँ तुम्हे आरक्षित
तो आरक्षण मेरे लिए क्यों ?
12 comments:
सार्थक विचारोद्वेलक रचना...
सादर बधाई.
bohat sundar kavita Jyotsana!
Bahut badhiya!
आँखें खोलती कविता!
हे सुमधुर ,आदरणीय, प्रेम समर्पित... NARI
आरक्षण की नहीं ,तुम्हे है प्रेम स्नेह समर्पित
तुम हो धरा की सहचरी ,सेवा में किया जीवन समर्पित
उगते तुममे हैं सदा प्रेम के नव किसलय
तुम हो प्रेम की सरिता भावों की निरपवाद निलय
मन से बात करती कविता
AA-RAKHSAS,
Behad Khoobsoorat rachna kay liye Badhai
drajaykgupta@blogspot.com
वरन, जरूरत है उन हौसलों की
जो देते आये हो....inspiring..
I can't cry but smile....
कभी कभार जो हर कोई सोचता है आपने बोल दिया, बहुत बढिया |
ati sunder, jyotsanaji !!
touching lines..
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