बाल चंद्र ने कहा निशा माँ मुझे उठा लो, चमकते-दमकते सितारों से जड़े अपने आँचल में चन्द्रिका करों का लेकर आश्रय चाँद बढ़ने लगा-- डगमगा कर, फ़िर-फ़िर संभलने लगा मानो उसे आवश्यकता हो अपने सहज और संपूर्ण विकास के लिए, माँ के आँचल की शीतल छाँव की!
प्रकृति में अवलंबित सुन्दर भावों को समेटा है आपने, चंद्रमा, रात्रि,चांदनियों के साथ मातृत्व का ऐसा रंग बिखेरा है कि हृदय से निकल रहा है वाह .........
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shabd srijan ka chitran bada sateek laga. apni kriti niyamit roop se bhejte rahen. meri ichchha hai ki yah print men bhi aaye.......GOPAL PRASAD.(09230605248,09231640685)E-MAIL:gopalprasad6@gmail.com
7 comments:
KYA KHOOB LIKHA HAI MA'AM
प्रकृति में अवलंबित सुन्दर भावों को समेटा है आपने, चंद्रमा, रात्रि,चांदनियों के साथ मातृत्व का ऐसा रंग बिखेरा है कि हृदय से निकल रहा है वाह .........
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apni bhabnaon ko sateek tarah se chitrit kiya gaya hai. hamari shubhkamna.
shabd srijan ka chitran bada sateek laga. apni kriti niyamit roop se bhejte rahen. meri ichchha hai ki yah print men bhi aaye.......GOPAL PRASAD.(09230605248,09231640685)E-MAIL:gopalprasad6@gmail.com
sahaj swabhawik abhivyakti
bachpan ko yad dilati
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