Friday, November 21, 2008

यूं तो...

यूं तो, तुम बहुत दूर हो मुझसे
पर कभी-कभी
तुम मेरे सबसे नज़दीक होते हो ...
जब मैं होती हूँ
बिलकुल अकेली
ऐसे में तुम्हारी यादें मुझे झकझोरती ,
कहती ----तुम तन्हा कहाँ हो ?
मैं हूँ तेरी सहेली

यूं तो तुम बहुत दूर हो मुझसे
पर कभी-कभी
मुझे लगता है ------
तुम मेरे सामने हो .......
लोंग कहते हैं ..........
मैं अब दिन में ख्वाब देखती हूँ
तुम ख्वाब नहीं ,हकीकत हो
ये अहसास मुझे जिंदा कर देता है ------------

यूं तो तुम बहुत दूर हो मुझसे
पर कभी-कभी
जब तुम्हारी गुदगुदाती यादें
मुझे हंसा देती हैं -----
और ये अहसास कि .......
तुम अब मेरे साथ नहीं
रुला देता है ..
लोंग कहते हैं कि मैं पागल हूँ
क्या तुम सचमुच बहुत दूर हो मुझसे ?

यूं तो तुम ...............................

15 comments:

Unknown said...

ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है, ढेरों शुभकामनायें… सिर्फ़ एक अर्ज है कि टिप्पणी मॉडरेशन हटा दें, फ़िलहाल आपको हिन्दी चिठ्ठाजगत में इसकी कोई आवश्यकता नहीं है… लिखती रहें…

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

आपतो बड़ी भावुक और दीवानी हैं जी!! सच्चा प्यार ऐसा ही बना देता है शायद...। साधुवाद।

36solutions said...

स्‍वागत है आपका हिन्‍दी नेट संसार में ।


वर्ड वेरीफिकेशन हटायें -

लागईन - डैशबोर्ड - सेटिंग्‍स - टिप्पणियां - टिप्पणियों के लिए शब्द पुष्टिकरण दिखाएँ? - नहीं

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

महोदया Jyotsna Pandeyji
अभिवादन।
यूं तो...
मैं अब दिन में ख्वाब देखती हूँ
तुम ख्वाब नहीं ,हकीकत हो
ये अहसास मुझे जिंदा कर देता है ------------
बहुत सुन्दर,,,,,,,,अति मनभावक,,,,,,,,लिखते रहे।

आपको आमन्त्रण मेरे ब्लोगस पर आये एवम चिट्ठे के टीकाकारो - टीप्पणी करो, प‍र CONDITIONS APPLY ? आलेख पर विचार दे। मगलमय शुभकामनाओ सहित।

"हे प्रभु यह तेरापन्थ"... पर HEY PRABHU YEH TERA PATH

हिन्दीवाणी said...

बहुत सुंदर कविता। इस काफिले में शामिल होने का शुक्रिया। उम्मीद है कि सक्रियता बनी रहेगी। समय निकालकर मेरे ब्लॉग पर भी पधारें।

Udan Tashtari said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.

एक निवेदन: कृप्या वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें तो टिप्पणी देने में सहूलियत होगी.

प्रदीप मानोरिया said...

ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है निरंतरता की चाहत है समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दे
प्रदीप मानोरिया
09425132060

Unknown said...

aapka swagat hai....likhte raho.....

Jai Ho Magalmay ho...

Unknown said...

aapka swagat hai....likhte raho.....

Jai Ho Magalmay ho...

संगीता पुरी said...

आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे..... हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

anubhooti said...

dooor paass ki paribhasha ka achha udaharan hai.........

Dev said...

Sabse pahale aapka swagat karta hoon
Aapki kavita ki yah line bahut achchhi lagi...
यूं तो तुम बहुत दूर हो मुझसे
पर कभी-कभी
मुझे लगता है ------
तुम मेरे सामने हो .......
लोंग कहते हैं ..........
मैं अब दिन में ख्वाब देखती हूँ
तुम ख्वाब नहीं ,हकीकत हो
ये अहसास मुझे जिंदा कर देता है

ye ahsash mujhe jinda kar deta hai
i love ur poems...
keep writting....
Regards

ρяєєтii said...

यूं तो, तुम बहुत दूर हो मुझसे
पर कभी-कभी
तुम मेरे सबसे नज़दीक होते हो ...
जब मैं होती हूँ
बिलकुल अकेली
ऐसे में तुम्हारी यादें मुझे झकझोरती ,
कहती ----तुम तन्हा कहाँ हो ?
मैं हूँ तेरी सहेली

Bahot khub Jyotsna ji ...

VIJAY VERMA said...

Koi Dukh Na Ho
Koi Gham Na Ho
Koi Aankh Kabhi Purnam Na Ho
Koi Dil Kisi Ka Toray Na
Koi Saath Kisi Ka Choray Na
Bas Pyar Ki Nadiya Behti Ho
Kaash K Dunya Aisi Ho

Anonymous said...

रसात्मक और सुंदर अभिव्यक्ति

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