तुम नैनों की राह चले
मन प्रागंण में कैसे पहुँचे?
पलकों के पहरेदार मेरे
क्या कर्तव्यों को भूल गए?
तुम आ ही गए कोई बात नही
था शांत भाव रखना तुमको
इस तुच्छ त्याज्य तन को छू कर
क्यों किया व्यथित तुमने मुझको?
है प्रेम पल्लवित पोषित तुमसे
जीवन का हो तुम स्पंदन
फिर क्यों घृणा उपजती मन में
चलता रहता ये मन-मंथन
हूँ क्षुब्ध आह! क्यों प्रेम किया
तुम जैसे नर-तन प्राणी से?
तुम तो वो प्रेम पिपासु नही
तुम प्यासे थे नारी तन के...
है एक यवनिका मध्य हमारे
खिंची हुई अंतस्थल में
जब तुम खींचोगे प्रेम डोर
वह स्वयं हटेगी उस पल में.
मन प्रागंण में कैसे पहुँचे?
पलकों के पहरेदार मेरे
क्या कर्तव्यों को भूल गए?
तुम आ ही गए कोई बात नही
था शांत भाव रखना तुमको
इस तुच्छ त्याज्य तन को छू कर
क्यों किया व्यथित तुमने मुझको?
है प्रेम पल्लवित पोषित तुमसे
जीवन का हो तुम स्पंदन
फिर क्यों घृणा उपजती मन में
चलता रहता ये मन-मंथन
हूँ क्षुब्ध आह! क्यों प्रेम किया
तुम जैसे नर-तन प्राणी से?
तुम तो वो प्रेम पिपासु नही
तुम प्यासे थे नारी तन के...
है एक यवनिका मध्य हमारे
खिंची हुई अंतस्थल में
जब तुम खींचोगे प्रेम डोर
वह स्वयं हटेगी उस पल में.
17 comments:
shabdon ka chayan ati sundar hai.
aadhunik yug mein nishchhal prem samapt ho raha hai.Apki rachna ne ye darshaya hai.
बहुत सुन्दर रचना है।एक भाव्भीनी रचना है।
है प्रेम पल्लवित पोषित तुमसे
जीवन का हो तुम स्पंदन
फिर क्यों घृणा उपजती मन में
चलता रहता ये मन-मंथन
सुंदर रचना . चिट्ठाजगत में स्वागत है .
धन्यवाद .
sandesh deti yeh kavita
un purushon ko jo nari man ki bhawanaon ko nahin uske bhautik saundarya ko prathmikta dete hain
ज्योत्सना जी आपकी रचना ने मन को मोह लिया कृपया इसी तरह से लिखती रहें और महिलाओ को इस क्षेत्र मे
लाने का प्रयास और प्रेरणा देती रहें | कभी फ़ुर्सत हो तो मेरे ब्लॉग पर स्वागत है |
है प्रेम पल्लवित पोषित तुमसे
जीवन का हो तुम स्पंदन
फिर क्यों घृणा उपजती मन में
चलता रहता ये मन-मंथन
-सुन्दर शिल्प एवं कोमल भाव लिए रचना पसंद आई. बधाई.
सुंदर शब्द उत्तम भावः बधाई
सुंदर भाव। बधाई।
आह! क्यों प्रेम किया.. गहन
अन्तर्द्वन्द में कविता सारथी भी बन जाती है। शुभकामना।
kabhi mere blog par bhi padhar kar tippani de
www.prakharhindu.blogspot.com
bahut hi sundar jyotsna ji .....bahut hi pasand aayi aapki lekhan shaili...saabhaar
swati
dil ko choo lene vale bhaav !!
laga jaise mere antar chipe bhav mere samane rakh diye gaye hon.... bhasha saral ho kar bhi bahut sundar hai.... fir fir padhane ki icha hoti hai.... mere blog par samay ho to jaroor aiye aur tippani kijiye....
सार्थक पंक्तियाँ सुंदर विचार यथार्थ को उकेरते आपके गहरे विचार और मजेदार
अत्यन्त भावभीनी अभिव्यक्ति आपकी विशेषता है ह्रदय स्पर्शी भावों से सजीकविता के लिए आपको हार्दिक बधाई
sunder abhivyakti... ant bahut hi sunder hai...
with regards
bahut achchi kavita hai man ko bhed gayi
सुंदर रचना मन को मोह लिया
KUKKoo
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