है ह्रदय मेरा विस्तृत हृद सा
बना एक स्मृति का नगर
आते व्याकुल करने क्यों 'वो'
मुझको निशि के ही प्रथम प्रहर
उनकी स्मृति मधु-सी पीड़ा
ज्यों कर्ण निकट बजती वीणा
मधुमय ध्वनि विरहा राग लिए
तड़पे विरहन जिसको सुनकर
स्वप्नों में आए तो कुछ क्षण
दर्शन अतृप्त रहगये नयन
लेती पखार पग अश्रु-नीर
कुछ क्षण जो जाते और ठहर
करना चाहूं जब ही विस्मृत
उनके ओष्ठों की मृदु स्मित
स्मृतियों की सेना लेकर
करती विस्मृति से घोर समर
आते व्याकुल करने क्यों वो.......
8 comments:
some very emotional well written lines in between...
great hindi words...
keep going...
शव्दों को भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुति का आपका यह ढंग निराला है, 'साथ तन्हाई के शामें गुजरती हैं', 'मैं उठ जाउंगी' में सामान्य लोकशव्दों का प्रभावपूर्ण सामन्जस्य एवं उससे झरते अर्थान्वयन से आपकी गहरी शव्द क्षमता का भान होता है वहीं 'आते व्याकुल करने क्यों वो......' को पढते हुए, हिन्दी कविता के निराला युग की मधुर स्मृति नजरों व हृदय में छा जाती हैं ।
Itne klisht shabdon ka prayog kar ke bhi aapne virah ke kshobh ko bakhubi prastut kiya hai.....
iwish for ur marvelous hindi poetry,keep going
विस्मृति से समर karane vali sena ki prerana ke geet madhuram, Jyotsana ke geet madhuram !
Comment kahan gayab ho gaya ???
hridayodgaron ki atulaniya prastuti
I believe "THE WOMAN IN FORM OF "ENERGY" THAT IS ALL PERVASIVE, IS THE BASE OF CREATION. SHE HAS CREATED THE GOD & EVILS. NO BODY MAY HAVE EVEN A CAPABILITY TO UNDERSTAND APPROPRIATELY TO HER.... THE MAN WHETHER IN FORM OF GOD OR EVIL DON'T TRY TO FEEL HIMSELF AS A SUPERIOR BECAUSE YOU ARE JUST CHOICES IN THE PARAMETERS OF THE HER...
THE MAN HAVE ONLY ONE OPTION TO MAKE HIMSELF CAPABLE FOR WORSHIP, RESPECT, PROTECT AND TO LEAD IN ACCORDANCE WITH THE DIGNITY OF THE HER....." May I request for your comment.... Best Regards...
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