तुम्हारी याद के तकिये पर सिर रख कर के सोती हूँ
उठे गर दर्द दिल में तो तुम मुझको जगा देना
तुम्हारी महकी राहों का उजाला मैं न बन पायी
अंधेरे आयें राहों में तो तुम मुझको जला लेना
कभी तुमको लगे कि बेवफाई हो गई तुमसे
तो कहके बेवफा मुझको मोहब्बत को वफ़ा देना
दिलों में झाँक कर देखो बहुत हैं ग़मज़दा सीने
करना हो दर्द दिल का कम तो रोतों को हँसा देना
इबादत करने का जब भी इरादा दिल में हो रोशन
किसी लाचार बूढे को सहारा हाथों का देना
जलाये रखना शमा एक उनके भी लिए दिल में
हिफाज़त में वतन की काम जिनका जान दे देना
जहाँ दिन खौफ़ के हों और रातें जागती रहती
दुआ है या मेरे मौला वहां पर अमन भर देना
34 comments:
क्या कहे ... ?
कभी जरुरत हो किसी दोस्त् की, हमें पुकार लेना ....
वादा है.. ना बेवफा, ना दर्द , ना लाचारी--- बस वफ़ा, प्यार aur बेसुमार प्यार ही देंगे ...
बहोत खूब दोस्त् जी ... बहोत अच्छी लेखनी और समझ है ,,,,
बहुत सार्थक रचना
इबादत करने का जब भी इरादा दिल में हो रोशन
किसी लाचार बूढे को सहारा हाथों का देना
जलाये रखना शमा एक उनके भी लिए दिल में
हिफाज़त में वतन की काम जिनका जान दे देना
जहाँ दिन खौफ़ के हों और रातें जागती रहती
दुआ है या मेरे मौला वहां पर अमन भर देना
इन अत्यंत सुन्दर शेरों के लिए बहुत बहुत बधाई.
द्विजेन्द्र द्विज
बहुत गज़ब के कविता है सच में बहुत मज़ा आया एक एक लाइन में आपका विचार चिंतन बहुत अलग है
तुम्हारी याद के तकिये पर सिर रख कर के सोती हूँ
उठे गर दर्द दिल में तो तुम मुझको जगा देना
......
प्यार का एहसास तभी ज़िंदा रहता है.....
दुआएं हर राहों के लिए करनेवाले को ऐ खुदा, तू सुकून देना
हर शेर एक खूबसूरत मतलब के साथ आपकी लेखनी से बाहर आया है.
ज्योत्स्ना जी
अभिवंदन
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही है आपने.प्यार में दुःख और त्याग ही शायद सच्चे समर्पण की निशानी होती है, वहीं लाचार बूढे को सहारा देने वाली बात, "जलाये रखना शमा एक उनके भी लिए दिल में हिफाज़त में वतन की काम जिनका जान दे देना " साथ ही अमन की खैरियत चाहना भी इबादत से कम नहीं है. एक ही ग़ज़ल में प्यार,देशप्रेम और अमन की बात कह के आपने कई रंग भर दिए हैं.
आपका
-विजय
jalaye rakhna...................... bahut khoob, desh ke liye soch, kya kahne. badhai. swapn
Bahut khub.
bahut khoob.. 'jyoti' ko 'varsha' ka abhinandan!!
dunia ne itna dard dia humko
hum dunia se rukhsat ho jaege
dunia yadd kregi hum ko
hum lot ke na aae ge
andhero se hai pyar mujhe
roshni ka kya karna
hum us die ki lo hai dost
jo bujh ke bhi na marna
WO HI SHAMA JO KAAM AAYE ANJIMAN KE LIYE!
WO HI ZEEST JO KURBAAN HO JAAYE WATAN KE LIYE!!
जलाये रखना शमा एक उनके भी लिए दिल में
हिफाज़त में वतन की काम जिनका जान दे देना
bahut acchi rachna hai,khaskar ye line. cause of may BROTHER is in INDIAN AIR FORCE, SQN. LDR. MAHESH PRATAP.
"desh ki hifazat karne waloin ka yahi baki nishan hoga.
uthi jinki nazar desh par unka sar na hoga."
जलाये रखना शमा एक उनके भी लिए दिल में
हिफाज़त में वतन की काम जिनका जान दे देना
bahut badhiya hai.
बहुत सुंदर रचना ।
ग़ज़ल में सारे शेर बहुत अच्छे और प्रेरणास्पद हैं
देश प्रेम और परोपकार की तो बात ही निराली है
- विजय
bahut hi khoob
दुआ है या मेरे मौला वहां पर अमन भर देना...
बहुत मार्मिक लगी आपकी रचना।
अच्छा लिखा है आपने । देश के मौजूदा हालात को बयान करते हैं आपके शब्द ।
http://www.ashokvichar.blogspot.com
ख़ूब कहा। अच्छा लिखा है।
जहाँ दिन खौफ़ के हों और रातें जागती रहती
दुआ है या मेरे मौला वहां पर अमन भर देना
बहुत सुंदर ...दिल को छू लिया आपकी रचना ने ...बधाई
सुन्दर। वर्ड वेरीफ़िकेशन हटा लें तो और अच्छा रहेगा।
जहाँ दिन खौफ़ के हों और रातें जागती रहती
दुआ है या मेरे मौला वहां पर अमन भर देना
संदेश बहुत ही प्रासंगिक है. जहाँ एक बदअमनी और हाहाकार मचा हुआ है यह शब्द किसी मरहमी छुअन का अहसास कराते है.
बधाईयाँ.
मुकेश कुमार तिवारी
सृजन की इस राह में सदैव आगे बढते रहें और आपकी कलम अनवरत चलती रहे यही मेरी शुभकामनाएं हैं।
सृजन की इस राह में सदैव आगे बढते रहें और आपकी कलम अनवरत चलती रहे यही मेरी शुभकामनाएं हैं।
bahut hi khoob.
बहुत सुन्दर !
जडत्व काया में हृदय का सुस्पंदन चैतन्य जीवन का रूप है, मिथ्या में नहीं । भवसागर की थाह में शीतलता का परम सुख है । ज्योत्सना की ज्योति ममतत्व बिखेरे तो संपूर्ण वसुंधरा में ज्योत्सना शीतलता का स्वरूप है ।
ज्योत्सना के ममत्व स्वरूप को मेरा सादर प्रणाम
डी.पी.शर्मा (दुबे), प्रकृति चिंतक
भिलाई
09425511075
बहुत खूब ....इबादत ओर आखिरी शेर ख़ास पसंद आया ........
आपका सहयोग चाहूँगा कि मेरे नये ब्लाग के बारे में आपके मित्र भी जाने,
ब्लागिंग या अंतरजाल तकनीक से सम्बंधित कोई प्रश्न है अवश्य अवगत करायें
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
आपका हाथ है और दिमाग रोशन है . इस मर्म स्पर्शी रचना के लिए साधुवाद
आपकी रवनाएं बहुत ही सुदंर और पठनीय हैै। क्या आपने कथा चक्र का ब्लांग देखा है। अवश्य ही देख्ें
अखिलेश शुक्ल
pl visit us at
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बहुत ही प्यारा लिखा हे...खूबसूरत एहसास....
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