गुलाबी रंग क्यों घोला शराबी आँखों ने
बहुत रोये हो ये बोला शराबी आँखों ने
उसके देखने में आग जाने थी कैसी ?
चाँदनी को किया शोला शराबी आँखों ने
तुम्हीं कहते थे कि मुझसे कोई रिश्ता नहीं
उतार फेंका ये चोला शराबी आँखों ने
लबों पर तेरे तबस्सुम क्यों रोती रही
कब राज़ ये खोला शराबी आँखों ने?
"चाँदनी" भी रोती रही थी शब् भर
इश्क को जिस्म से तोला शराबी आँखों ने
बहुत रोये हो ये बोला शराबी आँखों ने
उसके देखने में आग जाने थी कैसी ?
चाँदनी को किया शोला शराबी आँखों ने
तुम्हीं कहते थे कि मुझसे कोई रिश्ता नहीं
उतार फेंका ये चोला शराबी आँखों ने
लबों पर तेरे तबस्सुम क्यों रोती रही
कब राज़ ये खोला शराबी आँखों ने?
"चाँदनी" भी रोती रही थी शब् भर
इश्क को जिस्म से तोला शराबी आँखों ने
14 comments:
लबों पर तेरे तबस्सुम क्यों रोती रही
कब राज़ ये खोला शराबी आँखों ने?
शराबी आँखो ने तो बहुत सारे राज़ खोल डाले
बहुत सुन्दर
दिल को छु लेने वाली लाजवाब रचना ।
शराबी आखों की कहानी आपने बहुत खूबसूरत तरीके से बयाँ की ..रचना बहुत सुंदर लगी..
पढ़ कर बहुत अच्छा लगा..बधाई!!
लबों पर तेरे तबस्सुम क्यों रोती रही
कब राज़ ये खोला शराबी आँखों ने?
-बहुत उम्दा!! सुन्दर भाव!
Bhahut khabsoorat !
Nistabdh kar diya aapkee rachna ne..!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://baagwaanee-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
बहुत ही नशा हओ शराबी इन आंखो मे ...........
waah.....nashili rachna
लबों पर तेरे तबस्सुम क्यों रोती रही
कब राज़ ये खोला शराबी आँखों ने?
क्या बात है तबस्सुम है भी और नही भी..
भाई वाह !!
आपको पढ़कर बहुत अच्छा लगा. सार्थक लेखन हेतु शुभकामनाएं. जारी रहें................
तुम्हीं कहते थे कि मुझसे कोई रिश्ता नहीं
उतार फेंका ये चोला शराबी आँखों ने
wah........ yeh lines bahut achchi lagin.......
har raaz lajawaab
aur har raaz ka khul jaana bhi kamaal
itro-sandal-si bhini-bhini,
mehakti hui rachnaa par badhaaee
---MUFLIS---
बहुत ही मस्त गज़ल है.
Post a Comment