Friday, September 25, 2009

शराबी आँखों ने......

गुलाबी रंग क्यों घोला शराबी आँखों ने
बहुत रोये हो ये बोला शराबी आँखों ने

उसके देखने में आग जाने थी कैसी ?
चाँदनी को किया शोला शराबी आँखों ने

तुम्हीं कहते थे कि मुझसे कोई रिश्ता नहीं
उतार फेंका ये चोला शराबी आँखों ने

लबों पर तेरे तबस्सुम क्यों रोती रही
कब राज़ ये खोला शराबी आँखों ने?

"चाँदनी" भी रोती रही थी शब् भर
इश्क को जिस्म से तोला शराबी आँखों ने

14 comments:

M VERMA said...

लबों पर तेरे तबस्सुम क्यों रोती रही
कब राज़ ये खोला शराबी आँखों ने?
शराबी आँखो ने तो बहुत सारे राज़ खोल डाले
बहुत सुन्दर

Mithilesh dubey said...

दिल को छु लेने वाली लाजवाब रचना ।

विनोद कुमार पांडेय said...

शराबी आखों की कहानी आपने बहुत खूबसूरत तरीके से बयाँ की ..रचना बहुत सुंदर लगी..
पढ़ कर बहुत अच्छा लगा..बधाई!!

Udan Tashtari said...

लबों पर तेरे तबस्सुम क्यों रोती रही
कब राज़ ये खोला शराबी आँखों ने?


-बहुत उम्दा!! सुन्दर भाव!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

Bhahut khabsoorat !

shama said...

Nistabdh kar diya aapkee rachna ne..!

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ओम आर्य said...

बहुत ही नशा हओ शराबी इन आंखो मे ...........

रश्मि प्रभा... said...

waah.....nashili rachna

अपूर्व said...

लबों पर तेरे तबस्सुम क्यों रोती रही
कब राज़ ये खोला शराबी आँखों ने?

क्या बात है तबस्सुम है भी और नही भी..

अनिल कान्त said...

भाई वाह !!

Himalayi Dharohar said...

आपको पढ़कर बहुत अच्छा लगा. सार्थक लेखन हेतु शुभकामनाएं. जारी रहें................

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

तुम्हीं कहते थे कि मुझसे कोई रिश्ता नहीं
उतार फेंका ये चोला शराबी आँखों ने


wah........ yeh lines bahut achchi lagin.......

daanish said...

har raaz lajawaab
aur har raaz ka khul jaana bhi kamaal
itro-sandal-si bhini-bhini,
mehakti hui rachnaa par badhaaee
---MUFLIS---

Unknown said...

बहुत ही मस्त गज़ल है.

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