Friday, February 5, 2010

ज़रूरत

जाने कैसे,
रातें उड़ जाती हैं,
या परछाइयों की तरह,
घटती बढती रहती हैं,

दिन बंजर लगते हैं
या सूखे की धरती जैसे,
चटके-चटके

पर वक्त गुज़र ही जाता है
चांदनी बिखरी-बिखरी
कुछ नमी छोड़ जाती है

खुश्क होते लबों पर
फिर एक एहसास भीग जाता है
ये ख़याल और भी पुख्ता हो जाता है

कि तुम्हारी याद,
एक ज़रूरत है,
मेरे जीने के लिए!

22 comments:

masoomshayer said...

behad sunar rachnaa antim panktiayn to bahut hee kamal kee hain bas rachnaa man doob sa gaya main bahar aane ka man nahee aur gaharaye ebhee khoob hai

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

कि तुम्हारी याद,
एक ज़रूरत है,
मेरे जीने के लिए!


अंतिम पंक्तियाँ दिल को छू गयीं.... बहुत सुंदर कविता......

Dr. Tripat Mehta said...

dil mein utar gai aapki ye rachna :)

http://liberalflorence.blogspot.com/

रानीविशाल said...

Wah! kya baat hai bahut hi sundar kavita hai pad kar bahut accha laga...Badhai!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा!!

रावेंद्रकुमार रवि said...

मन पर अंकित हो गई!
--
मुझको बता दो -
"नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा! "
--
संपादक : सरस पायस

रश्मि प्रभा... said...

jeene ke liye tum.......waah

anubhooti said...

भावनाओं को व्यक्त करने की अद्भुत क्षमता से परिपूर्ण रचना.....
बधाई हो ......

shama said...

खुश्क होते लबों पर
फिर एक एहसास भीग जाता है
ये ख़याल और भी पुख्ता हो जाता है

कि तुम्हारी याद,
एक ज़रूरत है,
मेरे जीने के लिए!
Behad sundar!

कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 said...

खुश्क होते लबों पर
फिर एक एहसास भीग जाता है
ये ख़याल और भी पुख्ता हो जाता है.

सुंदर मष्तिष्क की कलात्मक कृति ...सुंदर रचना

वर्तिका said...

:)

Himanshu Pandey said...

बेहतरीन रचना । यादें सच में जीने की कशिश पैदा करती हैं ।

Brajendra Kumar Gupta said...

बहुत सुन्‍दर...बधाई

شہروز said...

बहुत ही उम्दा प्रस्तुती!!पहली बार आया.अब बार होगा आना....

kavi kulwant said...

bahut khoob

kavi kulwant said...

http://kavikulwant.blogspot.com
http://kulwant.mumbaipoets.com

रवीन्द्र प्रभात said...

होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।।

Satish Saxena said...

होली और मिलाद उन नबी की शुभकामनायें !

Ashish (Ashu) said...

ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी...वाह.सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.

मस्तानों का महक़मा said...

पढ़ने मे मज़ा आ रहा था लेकिन इच्छा हुई कि काश कुछ और एसे लम्हे भी होते जो एहसास की उस सीमा के पार चले जाते जो की करीब रहने, ख्वाबों में रहना और इश्क करने की झलकियों में बहा ले जाते।
लेकिन ये एहसास होना भी इसी रचना का ही हिस्सा है कि आप खुद में खो जाते हो कि "कितनी जरूरत है"
बहुत अच्छे...

Kavi Kulwant said...

कि तुम्हारी याद,
एक ज़रूरत है,
मेरे जीने के लिए!
...nice

संजय भास्‍कर said...

ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .

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