Monday, March 8, 2010

महिला दिवस: एक विचार

मानव समाज रुपी गाड़ी स्त्री-पुरुष रुपी पहियों पर चलती है और अच्छी गति तभी होगी जब दोनों पहिये समान गति से चलें। स्त्री में वह गति है परन्तु पुरुष उसकी गति अवरुद्ध करने का प्रयास करता है, फिर भी स्त्री उन्नति के लिए प्रयासरत है

स्त्री तो निश्चित ही अपने स्थान व अधिकार को प्राप्त करेगी परन्तु एक विद्रोही मानसिकता के साथ । इस कारण समाज पर एक बुरा प्रभाव पड़ेगा और यही नारी का विद्रोह आगे की पीढ़ी की नारी को हस्तांतरित होगा और पुरुष की दमन करने वाली मानसिकता आगे आने वाली पुरुष पीढ़ी को , तो क्या आपको एक स्वस्थ समाज मिलेगा ? नहीं ,ऐसे समाज में कुत्सित भावनाओं का ही बोलबाला रहेगा । अतः मेरा पुरुष वर्ग से अनुरोध है कि वह हमें अपने पंख फ़ैलाने का मार्ग स्वतः दे तो हमें मार्ग छीनना नहीं पड़ेगा और न ही विद्रोह रहेगा बल्कि सहयोग के लिए धन्यवाद की भावना रहेगी और यही एक स्वस्थ समाज को जन्म देगी ।

नारी का सामान गति से चलने के प्रयास से पुरुष आतंकित हो रहा है कि नारी उसके बराबर न आ जाये अतः उसका दमन और अधिक बढ़ने लगा है ,परिणाम दोनों ही पथ-भ्रष्ट हो गए हैं और मानव समाज धीरे-धीरे पशु समाज में परिणित होने लगा है ।


शैली त्रिपाठी

शिक्षिका

प्राथमिक विद्यालय

जिला-लखनऊ



नोट - उपरोक्त विचार अंतर्राष्ट्रीय महिला-दिवस पर सुश्री शैली त्रिपाठी द्वारा व्यक्त किये गए ,जो कि मूल रूप से आपके सामने हैं। सुश्री त्रिपाठी हिंदी पठन-पाठन में विशेष रूचि रखने के साथ-साथ महिला समाज के उत्थान के लिए " स्वयं-सिद्धा" नामक संस्था भी चला रही हैं.

3 comments:

रानीविशाल said...

Happy Women's Day !!

Unknown said...

ekdum sahi vichaar hai....||

अनवारुल हसन [AIR - FM RAINBOW 100.7 Lko] said...

शैली जी ने संपूर्ण पुरुष समाज पर स्त्रियों की प्रगति में बाधक होने का आरोप मढ़ दिया है जो कदापि उचित नहीं है, हमने तो अपनी माँ की ऊँगली पकड़ कर चलना सीखा है और इस प्रक्रिया में माँ सदा आगे आगे चला करती थी . आज भी माँ की परछाई से कहाँ अलग कर पाया खुद को ?

IndiBlogger.com

 

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

BuzzerHut.com

Promote Your Blog