प्रस्तुत पंक्तियों की प्रेरणा किसी को हुक्का पीते देख कर मिली...
.हुक्के को पीते समय जो आवाज़ आती है ऐसा लगता है-----णाम..फिर जब ठहर जाते हैं तो आवाज़ कुछ ऐसी होती है ---णानक...और जब छोड़ते हैं तो........हू.
मंदिर, मस्जिद,गुरुद्वारा
रही ढूँढती मैं हर सूँ
छिपा राम में, या नानक में,
याकि है तू अल्ला हू
जब देखा तो हर शय में था
हुक्के की गुड़ गुड में तू था
खींचा राम था,ठहरा नानक
और छोडा तो अल्ला हू था .
25 comments:
Kya baat hai!
Zindagi jeene ka tareeqa bayan kar diya aapne!
Hi..
Chahun or Eshwar hai sabke..
Jagat ke har Kan kan main hai..
Aati jaati sans main wo hai..
Sabke hi tan-man main hai..
Sundar kavita..
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DEEPAK..
कण कण में राम समाया.
हुक्का जब लोगबाग पीते है तो उसको मै भी गौर से देखता हूँ ... हुक्के की गुड़ गुड़ की आवाज के क्या कहने ...मुझे तो अजूबा लगता है जबकि मै बीडी सिगरेट हुक्का भी नहीं छूता हूँ ... हुक्के को लेकर आपकी रचना बढ़िया रही.... बधाई
ek noor te sab jag upja kaun bhale kaun mande...bahur sundar baat kahi
जहाँ ध्यान वहीँ भगवान .....
wah choda TO ALLAH HU THAA
KYAYUKTI SEKAVITA KO LAY DI HAI ...BILKUL SAHAJ V PRABHAVI ....AAJ KE SAMAY KI JARURAT HAI AISI KAVITAYEN BHAVNA BAHUT SHRESTH V SAMSAAMYIK ..JYOTSNA AAKHIRI PADHYABAHUT HI UMDAA HAI
बहुत उम्दा विचार!!
wah kya andaze byan hai zindgi ka..lajawab..badhiya rchna
bahut hi achhi rachna hai
आपकी कविताओं ऐसा सुंदर तथा रोचक रूप देख कर मन अत्यंत प्रभावित हो गया
सार्थक भाव , हार्दिक बधाई
वाह! कमाल की पंक्तियाँ है!
"खींचा राम था,ठहरा नानक
और छोडा तो अल्ला हू था."
कहाँ से कहाँ - यही होता है कवि मन और ऐसे ही उपजती है कविता - आभार
बहुत ही विहंगम दर्शन उपस्थित किया है आपने तो...
साधुवाद...
bahut khoob!!!!
ध्वनि विज्ञान की आपने सम्पदा बढा दी । हुक्के की गुड़गुड़ात्मकता को रचना ने नयी अर्थवत्ता दी ।
बधाई ।
waah....nice poetry
बहुत सुंदर पंक्तियाँ.....
परिचय में....
मैं व्यथा हूँ हृदय की
प्रत्येक सहृदय की
करुना भी मेरा नाम
कल्पित हृदय का दाह
कचोटता क्यों मन को?
दे नही सकती शीतलता
तो हे देव!
ज्योत्स्ना क्यों मेरा नाम?
यह सम्पूर्ण कविता बहुत ही अच्छी लगी.... दिल को छू गई....
हुक्के को पीते समय जो आवाज़ आती है ऐसा लगता है-----णाम..फिर जब ठहर जाते हैं तो आवाज़ कुछ ऐसी होती है ---णानक...और जब छोड़ते हैं तो........हू.
यह आवजवैशन बहुत अच्छा लगा..ध्वनि की साधना..
आपने फणीश्वरनाथ रेणु जी की स्मृति दिला दी..
this is my heart full *& you r a verry good .....................
नयी सोच और बढ़िया रचना...
are jyotsnaa.........are...are...are....ye kyaa kah diya tumne.....bhyi mazaa aa gayaa apan ko....!!!
bahut badhiya ..badhayee
हुक्का क्यों गुड गुड करता
कहता कि अंतस में भर लो
गुड कि दूनी गुडगुड मिठास
ये दुनिया एक चौपाल ,
सभी से करो एक ब्यावोहार
सभी का चाहो वैरी गुड
भर दो दुनया में सुविचार
बचन में गुड सा भरो मिठास
हुक्का सबसे प्रेम जताता चौपालों में ,
प्रेमी जनो कि नित्य नई महफिले सजाता ,,
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