पा लूँ तुझे ये थी आरजू
हर सिम्त में ढूँढा किये
रहे भटकते हम दर-बदर
जलाए आँखों के दिए .....
तेरी जुस्तजू से "जु" लिया,
तेरे नूर से मुझे "नू" मिला .
तू नहीं मिला है यही गिला,
इस बात का ये मिला सिला--
मेरी आँखों में कुछ नमी-सी है,
उस नमी से "न" को चुरा लिया
एक "जु नू न" यूं पैदा किया ....
अब तू मिलेगा या नहीं,
ये सोचना मुझको नहीं ,
रहा मुझमें दम या दम, बेदम हुआ
तुझे ढूँढ लायेगा ऐ खुदा!
मेरे जुनून में गर दम हुआ .......
43 comments:
wow sachi kay bat hai bahut manjumaye kavita hai
आप बहुत सुंदर लिखती हैं. भाव मन से उपजे मगर ये खूबसूरत बिम्ब सिर्फ आपके खजाने में ही हैं
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
इक जुनून की आपने किया है अनुपम खोज।
यही भाव जिन्दा रहे चाह सुमन हर रोज।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
Bahut sundar 'junoon'hai yah!
junoon ki vkhya karne ka ''junoon'' tarref ke kabil hai ..baahut umda
aapke junoon ko mera salam
bahut hi sundar bhav
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
जूनून में दम नज़र आता है....
wow शानदार जूनून ...
इस 'जुनून' का बनना अद्भुत लगा!कमाल की सोच !वाह!
मस्त अंदाज की सुंदर रचना
waah bahut khoob....
मुबारक हो आपका यह जुनून।
bahut dil se likhi gayee rachna
बहुत सुंदर....कितना सुंदर लिखा है....
ऐसा जूनून रहा तो जरूर ढूंढ लाएगा.. बढ़िया..
जूनून इस तरह लिया एक- एक शब्द से ...
ढूंढ लाये खुदा ...
अच्छी लगी कविता...
जुनून..........वाह...बहुत खूबसूरत...
बहुत उम्दा रचना!
ज्योत्सनाजी
आरज़ू जब जुनून बन जाए तो कामयाबी क़दम चूमती है ।
आपका जुनून क़ाबिले-ता'रीफ़ है !
ख़ूबसूरत जज़्बातों के लिए मुबारकबाद !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
बहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना बधाई
कृप्या मेरे ब्लोग पर पधार कर मौन की पौन पढें
बहुत सुन्दर कविता है ज्योत्सना जी. बधाई.
बहुत खूब ... इस जुनून में लिखी नज़्म बहुत कमाल की है ...
बहुत सुन्दर रचना ! लिखने का ये जुनून बना रहे और अच्छी रचनाएँ पढ़ने के लियें मिलती रहें - शुभकामनाओं के साथ - अपर्णा
bahut sunder
रहा मुझमें दम या दम, बेदम हुआ
तुझे ढूँढ लायेगा ऐ खुदा!
मेरे जुनून में गर दम हुआ ....
Bahut sundar abhivyakti-----.
Poonam
wah wah! kya baat hai!
log on http://doctornaresh.blogspot.com/
i just hope u will like it!
subhanallah!!!!!!!
गुलज़ार की एक नज़्म है .जिसे रेखा भारद्वाज ने गया है .तेरी जुस्तजू में जलते रहे...............
its one of your finest...
ज़िंदगी से लय का ख़ात्मा होता जा रहा ऐसे समय आपकी कवितायें सुकून देती हैं.और ज़िन्दगी से लबरेज़ पल भी.
कमाल की रचना है..जुनून अद्भुत हैं.
यही जनून बना रहे यही आशीर्वाद है बधाई
जुनून...वाह! शब्दों का क्या तिलस्म है.
आपसे असहमति का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।
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क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
ऐसा 'जु नू न' ! वाह !
ऐसा 'जु नू न' ! वाह !
Yadi junun sachcha hai to khuda kab tak chhupa rahega aapse. Sundar kavita.
behad khubsurat ...madhurim kavita
बहुत सुन्दर गीत..खूबसूरत.
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'पाखी की दुनिया' में इस बार 'कीचड़ फेंकने वाले ज्वालामुखी' !
ये कविता कम अंकगणित ज्यादा है ,संभव है ये कमेन्ट पब्लिश न किया जाए |मगर ये सच है कि इस अंकगणित के अंकों को अगर इस पूरी रचना से निकाल दिया जाए ,तो ये सिर्फ और सिर्फ पटरियों पर बिकने वाली "१०१ बेहतरीन शेर "जैसी किताब का हिस्सा नजर आएगी |हाँ ये बात दीगर है कि ज्योत्सना जी कविताओं की खरीददारी और बिक्री जानती हैं ,ऐसे में जो कमेन्ट आये हैं वो समीचीन हैं |
रचना मे शिल्पगत चमत्कार कथ्य के सौन्दर्य की अभिवृद्धि करता है । शब्दों की व्यञ्जना ने रचना को प्रभावी बना दिया है ।
प्यार और जुनून समानधर्मा है ।
प्रशंसनीय ।
ma'am aap waakai bohot achha likhte hai bhawnay aatma tak ja kr sparsh krte hai,sahajta saralta k sath kaash hum bhi likh pate ye khwish jag jate hai
gud yar
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