Wednesday, September 21, 2011

खुशबू

उससे बिछड़ते हुए
मैंने उसे एक डायरी दी
इस वादे के साथ कि
वह लिखेगा,
हर रोज़
एक नई कविता-

और उसके दिये फूल
सुरक्षित हैं,
आज भी
मेरी पाकीज़ा किताबों में-

बरसों बाद
जब भी सुन लेती हूँ
दर्द से भीगी
उसकी गज़लें-

पैबस्त हो जाती है
मेरे भीतर
एक खुशबू
सूखे गुलाबों की--

25 comments:

अग्निमन said...

bahut sundar

अग्निमन said...

bahut sundar

मुकेश कुमार सिन्हा said...

uski yaad achchhi lagi:)

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत एहसास

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

क्या कहने,
बहुत सुंदर

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

सुंदर भाव, सार्थक प्रस्‍तुति।

------
मायावी मामा?
रूमानी जज्‍बों का सागर है प्रतिभा की दुनिया।

मनोज कुमार said...

आंखें भिंगो देने वाली कविता।

abhi said...

बहुत प्यारी कविता है...किसी के दिए फूल और डायरी तो सहेज के रखने वाले होते हीं हैं...

रश्मि प्रभा... said...

वाह...........

संजय भास्‍कर said...

.... प्रशंसनीय रचना - बधाई

संजय भास्‍कर said...

ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.

Rajeysha said...

कि‍सी फूल से कहो कि‍ आज मेरे लि‍ये खि‍ले

कि‍सी पतंग से कहो कि‍ मेरे हाथों में आ जाये
कि‍सी बच्‍चे से कहो कि‍ मुझे चि‍ढा़ये


जुर्म क्या? ये सजा क्यों है?

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब .. वादा दोनों ही नुभा रहे हैं ... वो खुशबू भी नहीं मरती और गज़लों का दर्द भी ताज़ा रहता है ...

राजेश उत्‍साही said...

सुंदर कविता। मेरे पास भी किसी की दी हुई ऐसी एक डायरी है।

Avinash Chandra said...

छोटी सी, ख़ूबसूरत कविता। :)

Kunwar Kusumesh said...

सुंदर रचना.

सु-मन (Suman Kapoor) said...

behad sundar...

Amit Sharma said...

पञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
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"आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"

ramji said...

मैं ने देखा सोते हुए एक महकता हुआ सा ख्वाब .....
नींद से जागा तो देखा हाथ में था मेरे सुर्ख गुलाब ....

ramji said...

मैं ने देखा सोते हुए एक महकता हुआ सा ख्वाब .....
नींद से जागा तो देखा हाथ में था मेरे सुर्ख गुलाब ....

संजय कुमार चौरसिया said...

खूबसूरत पंक्तियाँ

himanshu said...

adbhut...adwitiya...shabdo se pare ehsaaso ki duniya ki sair...

S.N SHUKLA said...

ख़ूबसूरत प्रस्तुति, आभार.
please visit my blog too.

Dr. sandhya tiwari said...

bahut sundar bhav

Dr. sandhya tiwari said...

jyotsna jee bahut hi sundar rachna hai---aabhar

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