चाँद से मिलकर मैं निखर जाऊंगी
चाँदनी हूँ छत पर उतर जाऊंगी ......
सोचा न था लफ्जों में उतर सकती हूँ
एक दिन तेरी ग़ज़लों में भर जाऊंगी.....
(साभार-- मासूम शायर)
खाते हो झूठी क़समें भला क्यों
क्या करोगे कभी जो गुज़र जाऊंगी......
दूर तुमसे रहूँ भी तो कैसे सनम?
अब तुम्हें छोड़ कर मैं किधर जाऊंगी ......
तुमसे मिलने से पहले थी बेजार मैं
तुम मिले हो अब मैं संवर जाऊंगी........
तेरे ख्यालों से अब जी भरता नहीं
तुम संभालो नहीं तो बिखर जाऊंगी ......
चाँदनी ने कहानी लिखी दर्द की
चाँद के बिना मैं तो मर जाऊंगी.... ...
39 comments:
बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति।
चाँदनी चाँद की ही तो होती है ........
सुन्दर रचना
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
chand our chandniek dusare kebina adhure vi hote hai........lazami hai mar jana ek dusare ke bina
खाते हो झूठी क़समें भला क्यों
क्या करोगे कभी जो गुज़र जाऊंगी
बहुत खूब ज्योत्सना जी। चलिए आपकी तरफ से, आपके ही तर्ज पर मैं भी कुछ जोड़ दूँ-
गम न करना अगर दूर हो भी गयी
याद करना मुझे तुम नजर आऊँगी
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
खाते हो झूठी क़समें भला क्यों
क्या करोगे कभी जो गुज़र जाऊंगी......
दूर तुमसे रहूँ भी तो कैसे सनम?
अब तुम्हें छोड़ कर मैं किधर जाऊंगी
lajawab gazal
ज्योत्सना पाण्डेय जी।
बहुत खूबसूरत गज़ल प्रस्तुत की है।
बधाई!
ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति की प्रस्तुति......
चाँदनी ने कहानी लिखी दर्द की
चाँद के बिना मैं तो मर जाऊंगी.... ...
खूबसूरत जज्बात --
बहुत अच्छी रचना
सोचा न था लफ्जों में उतर सकती हूँ
एक दिन तेरी ग़ज़लों में भर जाऊंगी.....
sundar bhav..badhayi..ho..
चाँदनी ने कहानी लिखी दर्द की
चाँद के बिना मैं तो मर जाऊंगी.... ...
अभिव्यक्ति की खूबसूरती दर्शनीय है.
चाँद से मिलकर मैं निखर जाऊंगी
चाँदनी हूँ छत पर उतर जाऊंगी .
बहुत ही खूबसूरत...
सोचा न था लफ्जों में उतर सकती हूँ
एक दिन तेरी ग़ज़लों में भर जाऊंगी.....
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति आभार्
bahut hi khoobsoorat kavita..... dil ko choo lene wali
खाते हो झूठी क़समें भला क्यों
क्या करोगे कभी जो गुज़र जाऊंगी......
Kya aagaaj kiya hai aapne. Bahut khoob
चाँदनी ने कहानी लिखी दर्द की
चाँद के बिना मैं तो मर जाऊंगी
वाह!! बहुत उम्दा!! सुन्दर अभिव्यक्ति!!
Chand ki chandni acchi lagi...!
saadar sneh sang badhai...
rochak abhivyakti
padh kar aanand mila
apna kaarya mein isi prakaar se nirantartaa banaye rakhein
ज्योत्स्ना जी,
ये बतलाइए आपने इतनी सुन्दर ग़ज़ल क्यों लिखी भला ? अब आपको नज़र लग जाएगी ना। हाँ नहीं तो। हा हा । मालिक आपकी लेखनी को और बरकत दे।
शानदार और खूबसूरत रचना । धन्यवाद ।
४० दिन के बाद आपका ब्लोग जगत में आगमन आपके अच्छे स्वास्थ्य की ओर इंगित करता है .. आशा है आपका स्वास्थ्य अब ठीक होगा ..
रचना में प्लावित स्फ़ूर्तता इस का बयान कर रही है । मेरी गज़ल मिल्ने की प्यास रहने दे अवश्य पढें .. अनुरोध है
बहुत ही बेहतरीन रचना जिसके लिये आपको बधाई ।
bahut dil ko choo lene walee abhivkati hai sarhana ke liye chand se shabd utaar ke lanbe honge
bahut dil ko choo lene walee abhivkati hai sarhana ke liye chand se shabd utaar ke lanbe honge
खुबसूरत लगी यह रचना बहुत बढिया
bahut sunder likha hai aapne .....lajwaab
बहुत अच्छी रचना...ज्योत्स्ना जी बधाई..
नीरज
अति कोमल,खूबसूरत एहसास
चांद की चांदनी, जीवन के स्वप्न, जीवंत.
आभार.
Bahut sundar likhti hain ap.kabhi mere blog par bhi ayen.
पाखी के ब्लॉग पर इस बार देखें महाकालेश्वर, उज्जैन में पाखी !!
चाँदनी ने कहानी लिखी दर्द की
चाँद के बिना मैं तो मर जाऊंगी
mere pas lafaz nahi kahne ko,etna pyara likha apne..amazing....
बहुत खूब ज्योत्स्ना जी एक बेहतरीन गजल है भावो के साथ शब्दों का सयोंजन भी आप ने बहुत सरल रखा है
खाते हो झूठी क़समें भला क्यों
क्या करोगे कभी जो गुज़र जाऊंगी......
मेरा प्रणाम स्वीकार करे
सादर प्रवीण पथिक
9971969084
bhut sundar bhvabhvykti
कितनी सच्चाई है इन अल्फाजों में !
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://lalitlekh.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
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Bahut sundar ghazal kahee hai aapne.
{ Treasurer-T & S }
aajkal kahan chandni ka sacha pyar dekha jaata hai?kavita mein chandni ke sacche pyar or uski dard ko acchi tarah smeta hai aapne.....
बिखरे सितारे ! ७) तानाशाह ज़माने !
पूजा की माँ, मासूमा भी, कैसी क़िस्मत लेके इस दुनियामे आयी थी? जब,जब उस औरत की बयानी सुनती हूँ, तो कराह उठती हूँ...
लाख ज़हमतें , हज़ार तोहमतें,
चलती रही,काँधों पे ढ़ोते हुए,
रातों की बारातें, दिनों के काफ़िले,
छत पर से गुज़रते रहे.....
वो अनारकली तो नही थी,
ना वो उसका सलीम ही,
तानाशाह रहे ज़माने,
रौशनी गुज़रती कहाँसे?
बंद झरोखे,बंद दरवाज़े,
क़िस्मत में लिखे थे तहखाने...
Aapka rav chna sansaar dekha to behad prabhavit huee..khudko chabdanee kah,kiseeke chhat pe utarne kaa komal khyal..! Kitna madhur..anokha!
sneh poorvar se amtarit karne aayee hun...aapki rahnumayee aur hausalaafzayee kee tamnna hai..
chandni aur chand ka ati uttam sambhandh ko bahut ache shabdon mein wyakt kiya hai aapne..
My real name is Jyotsna. :)
Nice poems you have in here. :)
Cheerz!
Durga
are wah
socha na tha lafjon mein uter jaungi ....wah....bahut hi sunder jyotsnaji badhai
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