उसने कहा--
'आज शाम कुछ मीठा हो जाए'
"कुछ मीठा हो जाए" का मतलब ये बिलकुल नहीं कि-
रंगीन रैपर में लिपटे
चाकलेट उसे पसंद हैं---
मिठाइयाँ----?
नहीं-नहीं!!
चालीस के दशक में,
मिठाइयां उसकी सेहत के लिए ठीक नहीं........
ख़ुदा उसे सेहत बख्शे, उम्रदराज़ करें----
वो सड़कछाप मजनूँ भी नहीं कि
अपने गलत लफ्जों को
"मीठा" कि चाशनी में लपेटे,
और मुझ पर फेंके ----
मेरा आशिक भी नहीं जो
शाम ढले,
कुछ मीठे अहसासों में
गुम होने कि बात करता हो----
शायद! दुनिया में दर्द ज्यादा हैं,
और उसमें सहने का साहस कम
दूसरों के आँसुओं का खारापन
उसे विवश कर देता है॰
वह कह उठता है ---
"आज शाम कुछ मीठा हो जाए"
वो मेरी और आपकी तरह,
कविता में जीता है...
सोचती हूँ, आज शाम
उसे एक मीठी-सी नज़्म परोस दूँ!!
13 comments:
Mithi kavita ke liye badhai.
स्वास्थ्य को बिना नुकसान पहुंचाए .. सचमुच मीठा !!
मीठा का एहसास ,
और -
आपकी मीठी नज़्म ...
यकीनन कुछ मीठा हो जाये दोस्त जी ...!
इस से मधुर मीठा और क्या लिखा जा सकता है
माधुरतम रचनाओं में से एक है ये रचना ऐसी और मीठाई आती रहे यही कामना है
Bilkul ho jaaye jee.
( Treasurer-S. T. )
हमारे यहाँ तो नमक को ही मीठा कहते हैं।
कविता के भाव सुंदर हैं।
रचना बहुत मीठी है ज्योत्सना जी।
बेहतर रचना । आभार ।
सहज सरल शब्दों में गहरी मीठी अभिव्यक्ति. आभार.
ek mithi nazm ki mithaas idhar bhi
सोचती हूँ, आज शाम
उसे एक मीठी-सी नज़्म परोस दूँ!!
जी हाँ बेहतर खयाल है -- नज़्म जब अपने नाज़ुक स्पर्श के पर खोलेगी तो शायद कुछ मीठापन आ जाये. और देखिये मीठापन आ भी गया.
बहुत सुन्दर रचना.
बेहतरीन
Bilkul ho jaaye.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
सोचती हूँ, आज शाम
उसे एक मीठी-सी नज़्म परोस दूँ!!"
इस पंक्ति के पीछे की प्रवणता महसूस कर रहा हूँ । सहज मन की सहज अभिव्यक्ति ।
Post a Comment