चिड़ियों के चहकने से पहले,
आँगन बुहारती
मुझे नींद से जगाने के लिए
दुलराती
अपने पद चिह्नों पर
चलने को प्रेरित करती
मर्यादा और संस्कार कि धरोहर समेटे
आदर और स्नेह कि सीख देती
मैंने,
उसे कर्तव्यों का निर्वहन करते भी देखा है--
अपने अधिकारों को भी पाना
उसका अधिकार नहीं था
तथाकथित बड़ों के तानों और उलाहनों का दर्द
आँखों तक आने से पहले ही
कहीं अन्दर समेट लेती
पूछने पर होठों पर
मौन की सांकल लगा लेती
जब वही बड़े लोग
मुझे लड़की होने के कारण
दुत्कारते
वह भूल जाती
माँ-मर्यादा, संस्कार
कर्त्तव्य और स्नेह!
मैंने उसे
मेरे अधिकारों के लिए
लड़ते भी देखा है
वह कोई और नहीं
मेरी माँ है!
21 comments:
मैंने उसे
मेरे अधिकारों के लिए
लड़ते भी देखा है
वह कोई और नहीं
मेरी माँ है!
.... प्रभावशाली रचना,प्रसंशनीय!!!
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
maa mahan hai....
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
मॉं को जीवंत करती भावपूर्ण रचना.
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
बहुत सुंदर
मातृ दिवस के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें और मेरी ओर से देश की सभी माताओं को सादर प्रणाम |
maa kee rekhayen sukshmata se khinchi hain
विचारणीय प्रस्तुती /
प्रशंसनीय ।
समस्त माताओं को सादर नमन
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ………… कल के चर्चा मंच पर आपकी पोस्ट होगी।
bahut sundar bhav
मेरे अधिकारों के लिए
लड़ते भी देखा है
sach maa ase he hoti hai
मातृ दिवसपर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें और सभी माताओं को सादर नमन ।
उस माँ को प्रणाम ...!!
bahut sundar rachnaa bhaavnaatmak
आपकी हर रचना दिल से निकली हुई लगती है। गहरी संवंदना से भरी कविताएं....कृपया मेरे बलॉग को देखकर अपनी राय दें..।।
सूरज के जागने से पहले जागती
चिड़ियों के चहकने से पहले,
आँगन बुहारती
मुझे नींद से जगाने के लिए
दुलराती
अपने पद चिह्नों पर
चलने को प्रेरित करती
मर्यादा और संस्कार कि धरोहर समेटे
आदर और स्नेह कि सीख देती
माँ-मर्यादा, संस्कार
कर्त्तव्य और स्नेह!
मां अनिर्वचनीय है
kam likhaa hai maa isse bhi badhkar hai
bahot sunder kavita hai.
माँ पर कुछ भी लिखो कम ही लगता है
bahut sunder likhtin hain aap.
दिल को छू लिया इन पंक्तियों ने.....आभार
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