उत्तर-पश्चिमी राज्यों (North Eastern States) में लागू है के विरोध में पिछले लगभग नौ वर्षों से भूख हड़ताल पर हैं वे नवंबर २००० में भारतीय सेना द्वारा १० मणिपुरी नागरिकों को मारे जाने को मानव अधिकार हनन का मामला मानते हुए भूख हड़ताल पर चली गयीं जिसके बाद उन्हें आत्महत्या के प्रयास में गिरफ्तार किया गया उन्हें हॉस्पिटल में एकांत में रखा गया है एवं कुछ तरल नाक के द्वारा उन्हें दिए जाते हैं जिससे की वे जीवित हैं
Monday, June 7, 2010
इरोम शर्मीला
उत्तर-पश्चिमी राज्यों (North Eastern States) में लागू है के विरोध में पिछले लगभग नौ वर्षों से भूख हड़ताल पर हैं वे नवंबर २००० में भारतीय सेना द्वारा १० मणिपुरी नागरिकों को मारे जाने को मानव अधिकार हनन का मामला मानते हुए भूख हड़ताल पर चली गयीं जिसके बाद उन्हें आत्महत्या के प्रयास में गिरफ्तार किया गया उन्हें हॉस्पिटल में एकांत में रखा गया है एवं कुछ तरल नाक के द्वारा उन्हें दिए जाते हैं जिससे की वे जीवित हैं
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35 comments:
बहुत सुंदर शब्दों....बहुत ही खूबसूरत रचना....
अन्धकार में रोशनी का गान है अब शर्मिला
लड़ सके हिम्मत से वो इन्सान है अब शर्मिला
रोक पाओगे अगर तो देख लो तुम रोक कर
लड़ रही है वो कि बस तूफ़ान है अब शर्मिला
यह व्यवस्था चाहती है मौन हो जाएँ सभी
किन्तु मुखरित सत्य की पहचान है अब शर्मिला
जम्हूरित के जिस्म पर कोडा है मणिपुर की पुलिस
रोका दो उसको यही फरमान है अब शर्मिला
वो उठी है काश पूरा देश भी तो जागता
इंसानियत की सच कहें तो शान है अब शर्मिला
दुश्मनों को मारिये मासूम को क्यों मरना
तंत्र को इस लोक का ऐलान है अब शर्मिला
क्या ये मेरा देश मुर्दा हो गया इस दौर में?
ना-ना मेरे देश की तो आन है अब शर्मिला
इरोम शर्मिला अन्याय के विरुद्ध एक अनुकरणीय आवाज बन गयी हैं।
अगर आत्मबल का उपयोग किया जाए तो साधारण से साधारण मनुष्य भी अन्याय से लड़ सकता है।
अच्छी रचना आभार
तो "इरोम शर्मीला",
एक मशाल-सी जलती है....
जो जलती जा रही है॰,
निरंतर............
विगत आठ वर्षों से ,
अब तक.......
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है...झकझोर देने वाली...
बहुत सुंदर रचना है !!
बहुत सुन्दर रचना...टेम्पलेट बदलने का प्रयास करें. पढ़ने में तकलीफ हो रही है...ग्रे बैकग्राऊन्ड पर काले फॉण्ट..
तो "इरोम शर्मीला",
एक मशाल-सी जलती है....
जो जलती जा रही है॰,
निरंतर............
विगत आठ वर्षों से ,
अब तक........nice
Jagruk rachna, bahut achchi.
सुन्दर रचना के लिए बधाई. विषय नविन है, और कविता शर्मीला जी के साथ न्याय करती है. बधाई , ज्योत्स्ना जी !
रचना प्रशंसनीय ।
शर्मीला स्वयं मशाल हैं ।
अच्छी कविता के संपादन के लिए ज्योत्सना जी को धन्यवाद ।
मानवाधिकार के कथित झण्डाबरदारोँ ने शर्मीला के मुद्दे पर क्या किया ?
शर्मिला जी के बारे में जाना.सच में लोह स्त्री ही हैं ..उनका ये प्रयास प्रशंसनीय है..उम्मीद है उनका उद्देश्य पूरा हो.
उनकी कविता में व्यवस्था के विरुद्ध ही तीखे तेवर नज़र आते हैं.
शुक्रिया आप का इस कविता को हम तक पहुँचाया.
[आप मेरे ब्लॉग पर आयीं ,आप से पहली बार परिचय हुआ.बहुत अच्छा लगा.आभार.]
Bahut hee achee rachna hai ....
उफ्फ... फ... फ..सच दिल भर आया बेहद प्रभावशाली रचना
इरोम शर्मिला अन्धकार में रोशनी है उन्हे समर्पित एक बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति.........
मन को छू से गये आपके भाव....
--------
ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?
इरोम यहां ब्लाग पर इस तरह याद करने के लिए आपको बहुत बहुत सलाम।
रचना बहुत अच्छी है ......
मुझे ये बात पहले पता नहीं थी , पढ़ते ही रोंगटे खड़े हो गए...
कमेन्ट में क्या लिखूं ये तो नहीं सूझा... ये कुछ पंक्तियाँ अभी बना कर प्रस्तुत कर रहा हूँ
जब कभी सही मायनों में
इतिहास के पन्नों में
बारी दिखाने की साहस ...
शौर्य ... बलिदान आयी है
बहनें आगे बढ़ी है हमेशा
रह गए पीछे भाई हैं
बहुत सुन्दर, बेहतरीन!
अच्छी प्रस्तुति........बधाई.....
इरोम शर्मिला के बारे में उतना ही मालूम हुआ जितना आपने बताया. वैसे मानवाधिकारवादी प्रायः पूर्वाग्रही और एकपक्षीय होने का संकेत देते आये हैं. रचना अच्छी लगी.
मंगलवार 15- 06- 2010 को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है
http://charchamanch.blogspot.com/
महत्त्वपूर्ण कवयित्री की अति महत्त्वपूर्ण कविता!
--
आपसे परिचय करवाने के लिए संगीता स्वरूप जी का आभार!
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आँखों में उदासी क्यों है?
हम भी उड़ते
हँसी का टुकड़ा पाने को!
मार्मिक ... भगवान इरोम को शक्ति दे ... बहुत संवेदनशील लिखा है आपने ...
सर्वप्रथम आपका परिचय ही बहुत प्रभावशाली है ।
मैं व्यथा हूँ हृदय की , प्रत्येक सहृदय की
करुणा भी मेरा नाम
कल्पित हृदय का दाह कचोटता क्यों मन को?
दे नही सकती शीतलता
तो हे देव! ज्योत्स्ना क्यों मेरा नाम?
…इसलिए कि जहां दृष्टि असमर्थ हो ,ज्योत्सना के साथ सक्षम हो जाए ।
इरोम शर्मिला चानू को आपकी वजह से कितने लोगों ने जाना , क्या यह कम बड़ी उपलब्धि है ?
साथ ही गिरीश पंकज जी को भी सशक्त आशु काव्य लेखन के लिए साधुवाद !
आमंत्रण है शस्वरं पर आने के लिए …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
bahut hi achhi rachna...
शुक्रिया .
आप व्यथा हैं ह्रदय की फिर भी तस्वीर में मुस्कुराहट की रौशनी बिखेर रही है इसलिए ज्योत्सना हैं .
इरोम जी के मुताल्लिक़ लिखने के लिए आप बधाई की हक़दार हैं .
uss jalti mashal ko mera salam!!
saath hi iss marmik kriti ke liye aapko badhai.......:)
किससे करे फरियाद..?
ये प्रश्न सिर उठता है,
जब रक्षक ही भक्षक की
तरह सामने आता है ......
rachna bahut achchhi lagi. uthta ko uthaata karen please. badhhai!!
अच्छी कविता के संपादन के लिए ज्योत्सना जी को धन्यवाद ।
मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ, क्षमा चाहूँगा,
आप सभी सुधि जनों की आभारी हूँ, जिन्होंने कविता तक आकार मेरा उत्साह वर्धन किया, मुझे प्रोत्साहित किया....
"प्रेम फर्रुखाबादी" जी को विशेष धन्यवाद, जिन्होंने वर्तनी में हो रहे दोष की और ध्यानाकर्षित किया..
सादर!
और यह मशाल १२ वर्ष की होने को है ,
ज्योत्स्ना जी , इरोम को लेकर हम सब आंदोलित हैं ,
और कुछ करना चाहते हैं ! अशोक कुमार पाण्डेय जी ने
इसका शंखनाद कर दिया है !
एक मशाल जलती है...
बेहतर...
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