मैं बहुत छोटा हूँ
फ़िर भी मैं जानता हूँ
तुम कब दुखी हो
और कब खुश
जब भी तुम दुखी होते हो,
और सिसकियों से
तुम्हारा गला रुंध जाता है,
मैं तुम्हे संभालने के लिए
दौड़ता हूँ
तो गिर पड़ता हूँ
जब तुम खुश होती हो,
मैं भी खुश होता हूँ
और उछलने लगता हूँ.
कभी कभी तो एक पलक से,
दूसरी पलक तक
दौड़ लगाता हूँ
और दौड़ते हुए,
पता ही नही चलता,
कब तुम्हारे होंठों की
मुस्कराहट तक जा पहुँचता हूँ.
मैं तुम्हारे सुख और दुःख
दोनों का साथी हूँ.
तुम्हारी आँख का आंसू!
फ़िर भी मैं जानता हूँ
तुम कब दुखी हो
और कब खुश
जब भी तुम दुखी होते हो,
और सिसकियों से
तुम्हारा गला रुंध जाता है,
मैं तुम्हे संभालने के लिए
दौड़ता हूँ
तो गिर पड़ता हूँ
जब तुम खुश होती हो,
मैं भी खुश होता हूँ
और उछलने लगता हूँ.
कभी कभी तो एक पलक से,
दूसरी पलक तक
दौड़ लगाता हूँ
और दौड़ते हुए,
पता ही नही चलता,
कब तुम्हारे होंठों की
मुस्कराहट तक जा पहुँचता हूँ.
मैं तुम्हारे सुख और दुःख
दोनों का साथी हूँ.
तुम्हारी आँख का आंसू!
35 comments:
आंसू किसी बच्चे की मानिंद आँखों में उतरता लगा है,
मासूमियत लिए साथ रहता है,
फिर एक प्यारी मुस्कान बन जाता है,
बहुत सही चित्रण किया है ..........
आँसु --- दुःख में तो आते ही है, सुख मैं भी दामन भिगो जाते है ...
बहोत ही सुन्दर चित्रण किया है आपने आँसुओ का ...
'मैं तुम्हारे सुख और दुःख
दोनों का साथी हूँ.
तुम्हारी आँख का आँसू !'
- सुंदर !
ज्योत्स्ना जी
अभिवंदन
"आँसू" दुखी होने पर दुख के प्रतीक और खुश होने पर खुशी के प्रतीक होते हैं बशर्ते वे निश्छल बहें, अन्यथा मगर मच्छ के आँसू भी होते हैं. लेकिन अज के बदलते परिवेश में आँसुओं के टपकने को देखने की किसे फुर्सत है.....
तारा टूटते सब ने देखा, ये नहीं देखा एक ने भी.
किसकी आँख से आँसू टपका , किसका सहारा टूटा .
आपका
-विजय
आँसू का खूब मानवीय करण किया है आप ने। अच्छी कविता।
पर ये वर्ड वेरी फिकेशन हटाएँ। टिप्पणी में बाधा पैदा करता है।
bahut sundar.
bahut sundar rachna!!!
ADVITEEY!
NIHSHABDA!
bahut hi sundar likha he mam.....
bahut hi achcha thought he
भाव और िवचार की दृषटि से अच्छी रचना है । प्रभावशाली शब्दावली ने अभिव्यक्ति को प्रखर बना दिया है ।
http://www.ashokvichar.blogspot.com
wah wah ....maine jitna bhi aapko padha hai, aapka best work hai ye..
choo gayi bas..bahut badhiya
आंसू का सम्मोहन सा बन गया है, यह कविता पढ़कर. मानवीकृत आंसू अच्छा लगा. धन्यवाद.
पहले लगा की शायद आप नन्हे बेटे की बात कर रही है...आख़िर में आंसू नजर आया .भावो की आपकी अभिव्यक्ति की ये अदा भी निराली है
thanks, jyotsna ji
abhi blog ki duniya main kadam rakha hai.
bahut hi accha likha hai aapne....kaafi accha laga padh kar....
I donot have Hindi fonts, but I read Hindi I believe almost after 23 years. Padh kar laga ki I am back in school. Felt really good.
मैं तुम्हारे सुख और दुःख
दोनों का साथी हूँ.
तुम्हारी आँख का आँसू .....
-बहुत सुन्दर भाव!! वाह!!
बहुत शुभकामनाऐं.
बेहद प्रभावी
सादर
शुभकामनाओं सहित
व्हेरिफिकेशन हटाइये जी
आंसू के बारे मैं आपका गहरा चिंतन सुंदर शब्द प्रवाह से रची रचना मैं बहुत सुंदर है ... आपका बहुत बहुत धन्यबाद
बहुत ही सहज और सुन्दर भावः मिले यहाँ पर...
bihari ka kahana tha " satsaiya ke dohare , jyu navik ke teer. dekhan me chote laage ghaav karein gambheer .
iska abas aapki kavitao se ho jata hai . happy new year
nice poem
Respected Jyotsna Ji
your poem is nice. I am an editor of katha chakra hindi literature patrika. if like details about it pls read http://katha-chakra.blogspot.com
thanks akhilesh
देखा जाए तो आंसू ही मनुष्य का सच्चा साथी है। खुशी हो या दुख आंखें ही सबसे ही पहले गीली हो जाती हैं आंसू से।
अगर आप वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें तो टिप्पणी करने में आसानी होगी।
merichopal.blogspot.com
आंसू भावनाओं के अतिरेक हैं ,
सुख और दुःख दोनों के
यह हमारी संवेदनशीलता से उपजते हैं,
और अभी आपकी कलम से बाहर निकले हैं.
मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया !
आपकी रचनाएं अत्यन्त मर्मस्पर्शी व सुन्दर हैं। रचनाओं में गहन अवगाहन से आपकी विचारशीलता की गहनता प्रकट होती है। शब्द प्रयोग अत्यन्त उच्च कोटि के हैं, व अभिव्यक्ति श्रेष्ठ। एक बार आपका blog खोलने के पश्चात् समस्त रचनाएं पढ़ कर ही सन्तोष प्राप्त हुआ।
ज्योत्स्ना जी
अभिवंदन,
आपकी अभिव्यक्ति बहुत सुंदर है. हम जैसे लोग जिनका वास्ता जंगल एवं वन्यजन्तुयों से रहता है. ऐसे में आपकी रचना सुकून पहुंचती है.
एक समर्थ और सार्थक अभिव्यक्ति के लिए सिर्फ़ बधाई काफी नहीं होती..... आपका लेखन फले-फूले और आपके शब्दों को नित नए अर्थ और रूप मिलें यही शुभ कामना है.
मेरे ब्लॉग पर भी पधारें.
http://www.hindi-nikash.blogspot.com
सादर-
आनंदकृष्ण, जबलपुर
सुंदर...अति सुंदर !
कुछ ऐसे ही आंसू मेरे ब्लॉग पर भी जमा हैं....
चाहें तो संवेदना के स्पर्श से अनुभव कर लें !
http://sagarnaama.blogspot.com/
क्या बात है !..बहुत ही खूबसूरत तरीके से आपने कही अपनी बात...बधाई
wow di.... aapki ye rachnaa sach mein aansu dwaara aapko likha gaya ek pyaar bhara patr hai... bahut hi sunder tareeke se ukeri hain aapne aansu ki sanvednaein...
itni sahaz vyakhya aansoon ki isase pehle nahi padhi thi.......
aansu kab nikal pade aankh bhi nahin jaanti
ईश्वर की अद्भुत देन .....
सुख-दुखे समेकृत्वा.....
Beautiful poem, really.
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं. आंसू का चित्र बहुत कम शब्दों में बहुत अच्छा लगा.
Post a Comment