Saturday, January 3, 2009

आंसू...

मैं बहुत छोटा हूँ
फ़िर भी मैं जानता हूँ
तुम कब दुखी हो
और कब खुश

जब भी तुम दुखी होते हो,
और सिसकियों से
तुम्हारा गला रुंध जाता है,
मैं तुम्हे संभालने के लिए
दौड़ता हूँ
तो गिर पड़ता हूँ

जब तुम खुश होती हो,
मैं भी खुश होता हूँ
और उछलने लगता हूँ.
कभी कभी तो एक पलक से,
दूसरी पलक तक
दौड़ लगाता हूँ
और दौड़ते हुए,
पता ही नही चलता,
कब तुम्हारे होंठों की
मुस्कराहट तक जा पहुँचता हूँ.

मैं तुम्हारे सुख और दुःख
दोनों का साथी हूँ.
तुम्हारी आँख का आंसू!

35 comments:

रश्मि प्रभा... said...

आंसू किसी बच्चे की मानिंद आँखों में उतरता लगा है,
मासूमियत लिए साथ रहता है,
फिर एक प्यारी मुस्कान बन जाता है,
बहुत सही चित्रण किया है ..........

ρяєєтii said...

आँसु --- दुःख में तो आते ही है, सुख मैं भी दामन भिगो जाते है ...
बहोत ही सुन्दर चित्रण किया है आपने आँसुओ का ...

hem pandey said...

'मैं तुम्हारे सुख और दुःख
दोनों का साथी हूँ.
तुम्हारी आँख का आँसू !'
- सुंदर !

विजय तिवारी " किसलय " said...

ज्योत्स्ना जी
अभिवंदन
"आँसू" दुखी होने पर दुख के प्रतीक और खुश होने पर खुशी के प्रतीक होते हैं बशर्ते वे निश्छल बहें, अन्यथा मगर मच्छ के आँसू भी होते हैं. लेकिन अज के बदलते परिवेश में आँसुओं के टपकने को देखने की किसे फुर्सत है.....
तारा टूटते सब ने देखा, ये नहीं देखा एक ने भी.
किसकी आँख से आँसू टपका , किसका सहारा टूटा .

आपका
-विजय

दिनेशराय द्विवेदी said...

आँसू का खूब मानवीय करण किया है आप ने। अच्छी कविता।

पर ये वर्ड वेरी फिकेशन हटाएँ। टिप्पणी में बाधा पैदा करता है।

सुनील मंथन शर्मा said...

bahut sundar.

Unknown said...

bahut sundar rachna!!!
ADVITEEY!
NIHSHABDA!

maverick said...

bahut hi sundar likha he mam.....
bahut hi achcha thought he

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

भाव और िवचार की दृषटि से अच्छी रचना है । प्रभावशाली शब्दावली ने अभिव्यक्ति को प्रखर बना दिया है ।

http://www.ashokvichar.blogspot.com

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

wah wah ....maine jitna bhi aapko padha hai, aapka best work hai ye..

choo gayi bas..bahut badhiya

Himanshu Pandey said...

आंसू का सम्मोहन सा बन गया है, यह कविता पढ़कर. मानवीकृत आंसू अच्छा लगा. धन्यवाद.

डॉ .अनुराग said...

पहले लगा की शायद आप नन्हे बेटे की बात कर रही है...आख़िर में आंसू नजर आया .भावो की आपकी अभिव्यक्ति की ये अदा भी निराली है

राममोहन said...

thanks, jyotsna ji
abhi blog ki duniya main kadam rakha hai.

Unknown said...

bahut hi accha likha hai aapne....kaafi accha laga padh kar....

Indo Can American said...

I donot have Hindi fonts, but I read Hindi I believe almost after 23 years. Padh kar laga ki I am back in school. Felt really good.

Udan Tashtari said...

मैं तुम्हारे सुख और दुःख
दोनों का साथी हूँ.
तुम्हारी आँख का आँसू .....

-बहुत सुन्दर भाव!! वाह!!

बहुत शुभकामनाऐं.

Girish Kumar Billore said...

बेहद प्रभावी
सादर
शुभकामनाओं सहित
व्हेरिफिकेशन हटाइये जी

प्रदीप मानोरिया said...

आंसू के बारे मैं आपका गहरा चिंतन सुंदर शब्द प्रवाह से रची रचना मैं बहुत सुंदर है ... आपका बहुत बहुत धन्यबाद

डाॅ रामजी गिरि said...

बहुत ही सहज और सुन्दर भावः मिले यहाँ पर...

Harshvardhan said...

bihari ka kahana tha " satsaiya ke dohare , jyu navik ke teer. dekhan me chote laage ghaav karein gambheer .
iska abas aapki kavitao se ho jata hai . happy new year

AJAY AMITABH SUMAN said...

nice poem

Akhilesh Shukla said...

Respected Jyotsna Ji
your poem is nice. I am an editor of katha chakra hindi literature patrika. if like details about it pls read http://katha-chakra.blogspot.com
thanks akhilesh

chopal said...

देखा जाए तो आंसू ही मनुष्य का सच्चा साथी है। खुशी हो या दुख आंखें ही सबसे ही पहले गीली हो जाती हैं आंसू से।
अगर आप वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें तो टिप्पणी करने में आसानी होगी।
merichopal.blogspot.com

अर्कजेश Arkjesh said...

आंसू भावनाओं के अतिरेक हैं ,
सुख और दुःख दोनों के
यह हमारी संवेदनशीलता से उपजते हैं,
और अभी आपकी कलम से बाहर निकले हैं.

मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया !

डॉ. जय प्रकाश गुप्त said...

आपकी रचनाएं अत्यन्त मर्मस्पर्शी व सुन्दर हैं। रचनाओं में गहन अवगाहन से आपकी विचारशीलता की गहनता प्रकट होती है। शब्द प्रयोग अत्यन्त उच्च कोटि के हैं, व अभिव्यक्ति श्रेष्ठ। एक बार आपका blog खोलने के पश्चात् समस्त रचनाएं पढ़ कर ही सन्तोष प्राप्त हुआ।

प्रेम सागर सिंह [Prem Sagar Singh] said...

ज्योत्स्ना जी
अभिवंदन,
आपकी अभिव्यक्ति बहुत सुंदर है. हम जैसे लोग जिनका वास्ता जंगल एवं वन्यजन्तुयों से रहता है. ऐसे में आपकी रचना सुकून पहुंचती है.

hindi-nikash.blogspot.com said...

एक समर्थ और सार्थक अभिव्यक्ति के लिए सिर्फ़ बधाई काफी नहीं होती..... आपका लेखन फले-फूले और आपके शब्दों को नित नए अर्थ और रूप मिलें यही शुभ कामना है.

मेरे ब्लॉग पर भी पधारें.
http://www.hindi-nikash.blogspot.com

सादर-
आनंदकृष्ण, जबलपुर

सागर said...

सुंदर...अति सुंदर !
कुछ ऐसे ही आंसू मेरे ब्लॉग पर भी जमा हैं....
चाहें तो संवेदना के स्पर्श से अनुभव कर लें !

http://sagarnaama.blogspot.com/

Reetesh Gupta said...

क्या बात है !..बहुत ही खूबसूरत तरीके से आपने कही अपनी बात...बधाई

वर्तिका said...

wow di.... aapki ye rachnaa sach mein aansu dwaara aapko likha gaya ek pyaar bhara patr hai... bahut hi sunder tareeke se ukeri hain aapne aansu ki sanvednaein...

himanshu said...

itni sahaz vyakhya aansoon ki isase pehle nahi padhi thi.......

Unknown said...

aansu kab nikal pade aankh bhi nahin jaanti

anubhooti said...

ईश्वर की अद्भुत देन .....
सुख-दुखे समेकृत्वा.....

डॉ. जय प्रकाश गुप्त said...

Beautiful poem, really.

विकास कुमार 'स्वप्न' said...

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं. आंसू का चित्र बहुत कम शब्दों में बहुत अच्छा लगा.

IndiBlogger.com

 

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